Monday, June 27, 2011







मेरा व्योम


अर्थ नहीं होता है कोई
अर्थ से टूटी भाषा का
तार तार कर संकू मौन को
केवल इतना शोर तो
सुबह का सुनने दो
भरने दो मुझे को सांसो में
खुशबु उसकी ...
स्वर की हदे बांधने दो

पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो
अंधियारे बीजा करते है
गीली मिटटी सी पीडाएं
मेरी जो सलती है
रात भर ...
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है .........
(अनु)

38 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

अर्थ से टूटी भाषा सच मुच भाषा कहाँ रह जाती है... एक गहरे संवेदना को व्यक्त कर रही है यह कविता...गीली मिटटी की पीड़ा तब बढ़ जाती है जब कुछ सार्थक गढ़ा नहीं जाता.... अनु जी एक सार्थक और संवेदनशील कविता है यह...

नश्तरे एहसास ......... said...

पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो
अंधियारे बीजा करते है
गीली मिटटी सी पीडाएं
मेरी जो सलती है......

कितनी ही बखूबी से आपने इतने सुंदर भाव व्यक्त कर दिए.......बहुत सुंदर और उम्दा रचना

राजीव तनेजा said...

सुन्दर...सुदृढ़ एवं गहरे अर्थ लिए रचना

Mahesh Barmate "Maahi" said...

बहुत खूब अनु जी...
आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!

masoomshayer said...

is bar adbhud likhaa hai bahut hee sajeev

Sunil Kumar said...

पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
यह हुई ना बात इसके आगे कुछ नहीं .

रश्मि प्रभा... said...

yah talaash puri ho

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अच्छी कविता
मनोभावों का चित्रण करते हुए।

सदा said...

पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
यह हुई ना बात इसके आगे कुछ नहीं .

भावमय करती शब्‍द रचना ।

નીતા કોટેચા said...

सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है

wahhhhh annu..bahut sahi kaha...

रविकर said...

पोर पोर फटती देखूं मै
केवल इतना सा उजियारा
मेरी आँखों में रहने दो
सूरज सुर्ख बताने वालो ||

भावमय ||

सुनील गज्जाणी said...

सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है ..
प्रणाम ! आप कि उड़ान अनन्त हो .. सुंदर अभिव्यक्ति .
सादर

आनंद said...

अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है .........
yahi talash to ham sabki hai Anu ji.
bahut sundar rachna.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै

aafareen!

Rajiv said...

"अर्थ नहीं होता है कोई
अर्थ से टूटी भाषा का
तार तार कर संकू मौन को
केवल इतना शोर तो
सुबह का सुनने दो"
अनु ,बहुत सुदर और प्रवाहमयी रचना जो जो रचनाकार की चाहत की गति को स्वयं में समाये हुए है.उस दिनभी मैंने यही कहा था.

Satish Saxena said...

अक्सर आपका ब्लॉग..और कृतियाँ सोंचने को मजबूर करती हैं !
शुभकामनायें अनु !

निर्मला कपिला said...

रचना के लिये कहूँ तो बहुत सुन्दर है। लेकिन याचना क्यों? इतनी सबल बनो कि राह मे आने वाली हर अडचन को साहस से भगा सको। बहुत बहुत शुभकामनायें।

Maheshwari kaneri said...

सुन्दर एवं गहरे अर्थ लिए सुंदर अभिव्यक्ति ...

Ram kishan Punia said...

Anju Ji,itani sundar rachana ke liye aapko bahut bahut badhai.

डॅा. व्योम said...

बहुत सुन्दर

रेखा said...

गहरी भावप्रवण रचना

Unknown said...

बहुत ही बढ़िया लिखा है, अच्छा लगा पढ़ कर !

Na Jaane Kyun Khaali Sa Dil Mujhe Lagta Hai,
Yaadein Bhi Bewajah Ab Gujarti Nahi Isme..(sachin)

मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

Kunwar Kusumesh said...

beautifully written.

amrendra "amar" said...

बहुत खूब,सुन्दर एवं गहरे अर्थ लिए सुंदर अभिव्यक्ति ...
आभार

Anju (Anu) Chaudhary said...

आप सभी का यहाँ आ कर ...मेरा हौंसला बढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Ankur Jain said...

अनुजी बड़ी कोमल, प्यार भरी, सुन्दर रचना...

virendra sharma said...

भरने दो मुझको पंखों में मेरी दिशा बाँधने वालो ....सुन्दर विचार उत्तेजक तीव्र संवेदन और अम्प्रेशन लिए चोट करती रचना अंतस पर gehre bahut गहरे .

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah Anu ji...behtreen bhavBodh..... Karnal to aksar aana-jana rahta hai....maine apni zindgi ke behtreen kunware solah saal karnal me hi gujare hain....aapse mil kar achcha laga....

दिगम्बर नासवा said...

भावों को शब्द दिए हैं .. कभी कभी टूटी भाषा बहुत कुछ कहना चाहती है ... पर अर्थ नहीं मिलते हैं ..

कुमार पलाश said...

आपकी कवितायेँ बहुत खूबसूरत हैं... बेहद संवेदनशील रचना...

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर, क्या बात है।

amit kumar srivastava said...

excellent..

केवल राम said...

मनोभावों का सुंदर तरीके से अंकन किया है आपने ....आपका आभार

Jyoti Mishra said...

Simply beautiful !!

अशोक सलूजा said...

बेचेनी भरी तलाश ...???
एहसास से भरपूर !
शुभकामनायें !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

anju aapki post me jo samvednayen dikhti hai, wo adhbut hoti hai...
khud ko talash karna bha gaya...!!

ASHOK ARORA said...

रात भर ...
सफ़र नहीं होता हैं कोई
अपना ही आकाश बुनूं मै
भरने दो मुझको पंखो में
मेरी दिशा बांधने वालों
केवल इतनी सी ही
मेरी तलाश है ......... anju jo aap ne likha hai..ye us man ki abhivyakti...jo kanhi under tak tuta hua hai...nirmla kapila ji ne jo kaha h us par gaur karo..kamjor na..bano.....bahut sunder likhati ho....SAI Bless u....