नारी मन की पीढ़ा को कभी चलते हुए कहीं पढ़ा था ...उस वक़्त ये कविता बहुत अच्छी लगी थी ...इस लिए इसे संजो के रख लिया था ...आज फिर यूँ ही चलते चलते इस पर नज़र पड़ी....इस कविता के लेखक या लेखिका का नाम नहीं जानती ...फिर भी आप सबके साथ इसको साँझा कर रही हूँ ...........
तवायफ़...................
कुछ सवाल उठ रहे है मन में
किस को बुलाऊं इस सूनेपन में
सितारे भी तो नज़र
नहीं आते इस गगन में
लेकिन इस ख़ामोशी में भी
कोलाहहल सा हो रह है मन में.......
चुल्हे कम दिल
अक्सर जलते है यहाँ.कुछ सवाल उठ रहे है मन में
किस को बुलाऊं इस सूनेपन में
सितारे भी तो नज़र
नहीं आते इस गगन में
लेकिन इस ख़ामोशी में भी
कोलाहहल सा हो रह है मन
इठला कर चमक रही है बिजली
जैसे आग लगने वाली हो तन मन में..........
शराब के नशे में गिरते है
गिर कर कम ही संभलते है यहाँ
इस महखाने ने मुझे इतना बुरा बना दिया
मेरा नाम भी लेने से भी
लोग डरते है यहाँ………
किसी ने बजारू
किसी ने बिकाऊं कहा मुझे
कैसे गुजारुंगी अब मैं ये जिन्दगी
हर दिन सजना ,हर दिन संवरना
मगर किस के लिए
दिन में न चैन और रात भर जगना
मगर किस के लिए
खूब बजती है शेहनाई रात भर
सुबह उठती है अर्थी अरमा मरते है यहाँ………
अब मै भी जी जी कर
मरने लगी हूँ ||
30 comments:
मार्मिक ...यहाँ पढवाने के लिए आभार
tawaif ke dard ko shabd diye hain ... bahut hi marmik
यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....
मन को छूने वाली सुंदर प्रस्तुति,अंजू जी इस मार्मिक रचना के लिए
बधाई..आभार
मेरी नई पोस्ट के लिए -काव्यान्जलि- मे click करे
बहुत मर्मस्पर्शी...पढवाने के लिये आभार.
बहुत सुंदर.. और बहुत आभार इतनी अच्छी कविता पढवाने के लिए !
मेरी नई रचना "तुम्हे भी याद सताती होगी"
आपने बहुत ही सुन्दर गीत रचा है !
बधाई हो!!!!
जी जी कर मरना ...... हृदयस्पर्शी
हकीकत का मार्मिक चित्रण किया आपने
bahut marmik
बढिया
हकीकत का मार्मिक चित्रण्।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 19-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति!
यथार्थ और सम्वेदनशील .
good one
बहुत सुंदर रचना। देश दुनिया की असल तस्वीरों को सलीके से शब्दों में बांधना और उसका प्रस्तुतिकरण कोई आप से सीखे।
वाकई मन को छू गई आपकी ये रचना.. बहुत बहुत शुभकामनाएं
jee jee kar marnaa
likhaa insaan kee kismat mein
ab ro kar maro yaa hans kar maro
faislaa khud kar lo
मार्मिक पीड़ा छलकाती रीतापन बिखराती रचना .
शब्द-शब्द गहन भाव समेटे बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
मार्मिक चित्रण..बहुत सुन्दर...
मर्मस्पर्शी रचना....
शेयरिंग हेतु सादर आभार...
भाव पूर्ण रचना
पीड़ा दायक स्थिति का सटीक चित्रण.
हकीकत तो बयाँ करती रचना ..मार्मिक ...
bhavpoorn kavita
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी.
मार्मिक और हृदयस्पर्शी.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.
बहुत ही मार्मिक ... एक सच्चाई को लिखा है ...
एक सच्चाई ...दिखाता आइना ...!!!
बधाई स्वीकारें!
bahut marmik or sanvedanshil rachana
यार्थार्थ को दर्शाती मर्मस्पर्शी रचना....मार्मिक, अभिवयक्ति.....बहुत बहुत आभार.
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