Thursday, January 12, 2012

ये प्यार है या है एक भूल .......


ये प्यार है या है एक भूल .......

मैं तुम तक आती हूँ और तुम कोहरा बन ,
खुली आँखों से भी
नहीं दिखते
सूरज की पहली किरण
आने पर भी |

पर धीरे धीरे
मैं भी उबरने लगती हूँ
उस कोहरे के सच से
ना जाने कहाँ से
मुझे में ये सहनशक्ति
आ जाती हैं ..कि
मैं समझने लगती हूँ तुम्हारे ही
सच को .....
पर अब समझ आया है कि
तेरा ये इंतज़ार सिर्फ मेरा था
जो अब फ़िज़ूल है
कितना भी याद करूँ ,
पर ये प्यार है या है एक भूल .......
मैं उन लम्हो को लिए घूमती रही
जो मेरे थे, तुम्हारे थे, और हमारे थे
मैं सीने से लगा के रखती रही ,
उन लम्हों को जो
तुम को भी जान से ज़्यादा कभी प्यारे थे|
पर अब हर बात को समझने लगी हूँ
कि ...
मैं ,मेरे हिस्से की सज़ा
पहली ही पा चुकी हूँ
तुम मुझे छोड़ के मुझ से बहुत
दूर जा चुके हो
मुझ से दूर जाना तुम्हारे लिए
कितना आसान था
ये अब मैं जान चुकीं हूँ |

आज के बाद मेरी महक तुम्हारे
बदन से नही आएगी
अभी जिस्म दूर हुए हैं रफ़्ता रफ़्ता
तुम्हारी रूह भी मुझे भूल जाएगी
अब के जब जुदाई आएगी
तो मुकम्मल आएगी
क्यूँ कि
वो बाते भी तेरी थी ,
वो मुझे झुठलाना तेरा था
वो अपना बना कर
अपनापन जतलाना भी तेरा था
बन गई जब मैं तेरी तो ,
वो ठुकराना भी तेरा था
मैं अपनी वफ़ा का क्या इन्साफ मांगती
वो वादा भी तेरा था और
वादे को तोड़ कर चले जाना भी
तेरा था ..
मैं अपने दिल का इन्साफ
कहाँ मांगती तुझ से ,
मुझे छोड़ के चले जाने का
हर फैंसला भी तेरा था ?????

अनु

35 comments:

केवल राम said...

मार्मिक पंक्तियाँ .....!

RITU BANSAL said...

आखिरी प्रश्नचिन्हों में शायद अनसुलझे सवाल हैं ..
अच्छी प्रस्तुति
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
kalamdaan.blogspot.com

Nirantar said...

pyaar kabhee kabhee man ko lubhaataa hai
kabhee yaad ban aankhon se ashq bahaataa hai
honslaa himmat mat chhodo waqt ke saath
insaan sab bhool jaataa hai
dil ke dard ko khoob bayaan kiyaa hai

अशोक सलूजा said...

अहसास और महसूस... का सुंदर संगम !
इन्साफ के लिए ..
शुभकामनाएँ!

रश्मि प्रभा... said...

कोहरे के सच से उबरना आसान तो नहीं ...

નીતા કોટેચા said...

aaj ke bad meri mahek tumhare badan se nahi aayegi..abhi jisam dur huve hai rafta rafta tumhari ruh bhi muje bhul jayegi,...mai apne dil ka insaf kaha mangti hu tujse ? muje chor ke chale jane ka faisla bhi to tera tha..
wahhhhhhhhhhh bahut khub...

रविकर said...

खूब-सूरत प्रस्तुति |
बहुत-बहुत बधाई ||

નીતા કોટેચા said...

aaj ke bad meri mahek tumhare badan se nahi aayegi..abhi jisam dur huve hai rafta rafta tumhari ruh bhi muje bhul jayegi,...mai apne dil ka insaf kaha mangti hu tujse ? muje chor ke chale jane ka faisla bhi to tera tha..
wahhhhhhhhhhh bahut khub...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

अंतिम चार पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी,...
सुंदर प्रस्तुति बढ़िया रचना,.....

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।


सादर

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

वाह.. क्या कहने,
वाकई बहुत सुंदर रचना है।

Kailash Sharma said...

बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण प्रस्तुति...शायद प्रेम की यह भी परिणिति है..

shikha varshney said...

कुछ कशमकश , कुछ सवाल.मार्मिकता से उकेर दिए आपने.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
लोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनाएँ!

vikram7 said...

maarmik,bhaavprn rachana

Maheshwari kaneri said...

बहुत ही मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...

दिलबागसिंह विर्क said...

खूबसूरत कविता

मेरा मन पंछी सा said...

बीते प्यार भरे लम्हे से लेकर जुदाई तक का सफ़र बहुत ही मार्मिक और सुन्दर तरीके से पेश किया है..
अति उत्तम भावपूर्ण रचना है

विभूति" said...

मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......

vidya said...

सुन्दर...
शुभकामनाएँ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मार्मिक रचना ..ऐसा क्यों होता है कि सब एक तरफ़ा ही लगाने लगता है ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मार्मिक प्रस्तुति ..ऐसा क्यों होता है कि सब एक तरफ़ा ही लगने लगता है ...

दर्शन कौर धनोय said...

MUJHE CHHODKAR JAANE WAL HAR FESHLA TERA THA …KYA BAAT HEN ?

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत अच्छी मन को छूती रचना,सुंदर प्रस्तुति
नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-

Jeevan Pushp said...

एक बेहद मार्मिक रचना दिल को छो गई !
पढ़ते गया और हर शब्द मन में समाते गया !
मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत है !
आभार !

कुमार संतोष said...

मार्मिक प्रस्तुति !
मकर संक्रांति की शुभकामनायें !

Pallavi saxena said...

भावपूर्ण रचना कभी समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/

Amit Chandra said...

दिल को कुरेदती एक उत्तम रचना.

आभार.

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut hi achchi prastuti.

अरुण चन्द्र रॉय said...

marmik prastuti.... bahut sundar

अरुण चन्द्र रॉय said...

marmsparshi aur khoobsurat kavita....

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुंदर आप की रचनाएँ मन को छु लेनने वाली होती है

Madhuresh said...

Sundar rachna, maarmik bhavabhivyakti!

Priyanka Vaishnav said...

i just loved it... It says all what i have with in me... :) Lovely.... :)

Ashwani said...

मैं तुम तक आती हूँ और तुम कोहरा बन ,

खुली आँखों से भी

नहीं दिखते
सूरज की पहली किरण

आने पर भी |-

अपने आप में एक छोटी सी कविता..