(सबके साथ ... सांपला ब्लोगर मीटिंग के यादगार पल)
शब्द और लिखना ...........अब ये ही जीवन हैं
लिखना
उगना हैं एक विचार का ,
उगाना हैं ,शब्दों का
और इन दोनों के मेल से
अपने आप को
छिलने जैसा हैं
कि भीतर की हवा आर पार
हो सके
एक खिड़की तो निकल आए
मन की ताजगी के लिए
और मैं विचारों से ऊपर उठ जाऊं ...
शब्द ,
यौद्धा सी ताकत भरते हैं
मेरे मन में |
कोई नहीं पूजता यहाँ
धँसे हुए मस्तक को
मसल दिया जाता हैं
हर झुका हुआ सर
ऐसा कौन हैं जो ,
फूल की पलकें
काट कर बिछा देगा
आपके स्वागत के लिए |
पर
शब्दों और उनको लिखना
जैसे घने कोहरे से
सूरज का निकालना
हर पतझड़ अपनी राहें
खुद ही बदलती गई
कोमल पग धरते हुए
तूफानों की तरह ये आए हैं
मेरे इस सूने जीवन में ,
चट्टान सी छवि लिए
स्थापित हो गई
शब्दांश और रोशनी सी चकाचौंध की दुनिया में |
अनु
43 comments:
yahi raushni bani rahe...
maarmik..
nice and emotional..
man kee baat kahne ke do hee upaay hein
yaa to zubaan se kah do
naa bardaasht ho duniyaa se to munh par taalaa lagaa do
kalam ko khol do nirantar chalne do
man kee kunthaa jee bhar ke nikaal do
hanste hanste jeete raho
जीवन ऐसे ही प्रेरित रहे..
कबिता उत्पन्न कही और होती हे,
शोभा कही अन्यत्र पाती हे.
कबि की लेखनी से सर्जित रचना शोभा बहा पाती हे ,
जहा उसके विचार , प्रसार तह उसमे कथित आदर्श का ग्रहण और अनुसरण होता हे.
yahi kaha ja sakta he ......
सुन्दर...
ये भावनाएं कायम रहें...
सादर.
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।
बहुत सार्थक अभिव्यक्ति सुंदर रचना,
जीवन में ये खुशी के पल सबको नसीब हो,बधाई शुभकामनाए....
new post...वाह रे मंहगाई...
अंजू जी,मै पहले से ही आपका समर्थक गया हूँआप भी बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,....
बहुत ही बढ़िया।
सादर
सुन्दर प्रस्तुति.
सांपला में आपसे मिलकर अच्छा लगा.
वाह !..वाह !!..
kalamdaan.blogspot.com
यादगार पल सदा याद आते हैं. सजीव चित्र.
ऐसे मिलने जुलने से विचारों को नए आयाम मिलते हैं, बहुत सुन्दर पहल
सुंदर , प्रेरणादायी भाव.....
शब्दों का सम्प्रेषण तो
होता है अदृश्य अरूप.
भाव बोध दिलाते उसे संज्ञा
गद्य का, पद्य का, हास्य का
श्रृंगार - वियोग - वीरता का,
करुणा - विभत्स या रौद्र का.
शब्दों की अपनी मर्यादा
और उनकी उपयोगिता ही,
बढ़ाती और घटाती है,
व्यक्ति मान और सम्मान.
मिलती है उसी से -'जंजीर',
सोने की भी, लोहे की भी.
शब्द संयोजन, और
गरिमामय प्रस्तुति ही,
किसी ग्रन्थ को महनीय
और पूजनीय बना जाता,
किसी को नदी - नाले में,
जाने का कारण बन जाता.
शब्द तो हैं - अनमोल,
अमूल्य, ह्रदय कोश आगार.
जब भी निकले यह मुख के द्वार ,
कर लो फिर पुनः - पुनः विचार.
हो संगृहीत अर्थ, उसमे बस इतना,
हो आवश्यकता उनकी जब जितना.
शब्दों का सम्प्रेषण तो
होता है अदृश्य अरूप.
भाव बोध दिलाते उसे संज्ञा
गद्य का, पद्य का, हास्य का
श्रृंगार - वियोग - वीरता का,
करुणा - विभत्स या रौद्र का.
शब्दों की अपनी मर्यादा
और उनकी उपयोगिता ही,
बढ़ाती और घटाती है,
व्यक्ति मान और सम्मान.
मिलती है उसी से -'जंजीर',
सोने की भी, लोहे की भी.
शब्द संयोजन, और
गरिमामय प्रस्तुति ही,
किसी ग्रन्थ को महनीय
और पूजनीय बना जाता,
किसी को नदी - नाले में,
जाने का कारण बन जाता.
शब्द तो हैं - अनमोल,
अमूल्य, ह्रदय कोश आगार.
जब भी निकले यह मुख के द्वार ,
कर लो फिर पुनः - पुनः विचार.
हो संगृहीत अर्थ, उसमे बस इतना,
हो आवश्यकता उनकी जब जितना.
बहुत बढ़िया!
Anju ji behad prbhavshali rachana lagi ......yatharth ko awagat krati hui rachana bahut hi prernadayee lagi .
मन कि ताज़गी के लिए एक खिडकी तो निकल आये ... सही है ..सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उनको शत शत नमन!
सुन्दर!
कितने प्यारे अहसास...
कम ही पढ़ी बांची हैं इतनी सुन्दर प्रस्तुति .सुन्दर मनोहर अनुभूति सबकी बनती हुई पोस्ट .
शब्द ही उर्जा है , ताकत है..!
प्रशंसनीय रचना।
wahhhhhhhhhhh shabd ka sath mil jaye fir kya chahiye annu ekdam sahi kaha..
▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...
दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...
● Meri Lekhani, Mere Vichar..
.
लिखना..उगना है एक विचार का...ये विचार अच्छा लगा मुझे..
इशी आशा के साथ तो हम जिन्दगी जी जाते है..... प्रेरक और खुबसूरत रचना.....
शब्दों और उनको लिखना
जैसे घने कोहरे से
सूरज का निकालना
....बहुत सटीक..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..
शब्दों और उनको लिखना
जैसे घने कोहरे से
सूरज का निकालना
बहुत सुन्दर कविता नीरज जी नें सही कहा''शब्द और भाव बेजोड़''
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती!
विचारों को उचित शब्द देना ही रचना है ...
सांपला की यादगार बहुत लाजवाब चित्रों में उतारी है आपने ...
bahut gahan anubhuti, gahri aur bhaavpurn rachna, badhai.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
सराहनीय एवं प्रेरक....
कृपया इसे भी पढ़े-
क्या यह गणतंत्र है?
क्या यही गणतंत्र है
शब्द निकलेंगे तो उद्गारों की खिडकी खुलेगी और कोई न कोई राह भी मिलेगी !
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें! जय हिन्द!
जीवन वैसा ही है जैसा हम देखते हैं इसे ...वाह जी बल्ले बल्ले.
behtarin prastuti..sadar badhayee aaur amantran ke sath
बहुत सुन्दर
तूफानों की तरह ये आए हैं
मेरे इस सूने जीवन में ,
चट्टान सी छवि लिए
स्थापित हो गई.waah.....
कोमल पग धरते हुए
तूफानों की तरह ये आए हैं
मेरे इस सूने जीवन में ,
चट्टान सी छवि लिए
आसिरबाद
घनो चंगो लिक्खो
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