प्रतीक्षा
हम तो इंतज़ार में बैठे रहे यूँ ही ,दिन भर
वो आए तो करीब मेरे ,पर बिन देखे कि
मेरी आँखों में इंतज़ार के आँसू भी हैं
उसने ना आने के सौ बहाने बताएँ,
पर ये नहीं पूछा कि ,तुम कैसे हो
मेरे ना आने पर ...|
ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?
रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल
इस मुश्किल दौर में ,मैं कहाँ जाऊं ?
दुनिया भर की बातों का उत्तर देता जाऊं ,
पर अपनों की कटाक्ष भरी बातों से
कैसे ,खुद को समझाऊँ?
बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,
और बिस्तर पर पड़ा पड़ा
भांति भांति की कल्पनाओं में डूब जाता हूँ
और फिर ना जाने कब सो जाता हूँ ,
अपनी ''प्रतीक्षा'' की
प्रतीक्षा में |
अनु
हम तो इंतज़ार में बैठे रहे यूँ ही ,दिन भर
वो आए तो करीब मेरे ,पर बिन देखे कि
मेरी आँखों में इंतज़ार के आँसू भी हैं
उसने ना आने के सौ बहाने बताएँ,
पर ये नहीं पूछा कि ,तुम कैसे हो
मेरे ना आने पर ...|
ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?
रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल
इस मुश्किल दौर में ,मैं कहाँ जाऊं ?
दुनिया भर की बातों का उत्तर देता जाऊं ,
पर अपनों की कटाक्ष भरी बातों से
कैसे ,खुद को समझाऊँ?
बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,
और बिस्तर पर पड़ा पड़ा
भांति भांति की कल्पनाओं में डूब जाता हूँ
और फिर ना जाने कब सो जाता हूँ ,
अपनी ''प्रतीक्षा'' की
प्रतीक्षा में |
अनु
45 comments:
बड़ी सुन्दर 'प्रतीक्षा ' है..
kalamdaan.blogspot.com
दिल के जज़्बातों को ज़ुबान दी है आपने...अनु दी
कविता के भाव को चित्र ने बखूबी उभारा ।
भांति भांति की कल्पनाओं में डूब जाता हूँ
और फिर ना जाने कब सो जाता हूँ ,
अपनी ''प्रतीक्षा'' की
प्रतीक्षा में |
.......कभी कभी प्रतीक्षा भी जरूरी है यही तो जिंदगी है ..
बेहतरीन भाव ..मर्म्सपर्शी कविता दी !
कुछ पाना है तो प्रतीक्षा करनी ही पडेगी,जीवन में ऐसी परस्थितियाँ आती रहती है,...
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट ...
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
pratiksha bahut kathin hoti hai aur phir usake baad bhi manachana phal na mile to aur bhi ........
रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं .bahut khoob.
रोना चाहूँ ,तो रो ना पाऊं ,
कहना चाहूँ ,तो कुछ कह ना पाऊं
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल
इस मुश्किल दौर में ,मैं कहाँ जाऊं ?
दुनिया भर की बातों का उत्तर देता जाऊं ,
पर अपनों की कटाक्ष भरी बातों से
कैसे ,खुद को समझाऊँ?
बहतरीन रचना अंजू जी, बधाई!!
ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?
....बहुत मर्मस्पर्शी अहसास ...बहुत कठिन होता है प्रतीक्षा में समय गुजारना...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
हम तो इंतज़ार में बैठे रहे यूँ ही
very ntce
प्रतीक्षा की प्रतीक्षा ...वाह ..क्या बात है.
pratikshaa kabhee khatm nahee hotee
nirantar sataatee rahtee
ram ram
अपनों की बातें ज्यादा कष्ट देती हैं ...
प्रतीक्षा की प्रतीक्षा अच्छी लगी
निराशावादी पंक्तिओं का कैसे सम्मान करूं !
मन के सुंदर ,सच्चे भाव.....
सच,ये इंतज़ार बड़ा दुखदाई होता है.
ये जिंदगी हमसे इम्तेहान लेती रही
और हम इसको वक्त दर वक्त
हम इम्तेहान देते गए
पर जिस दिन जिंदगी मिली हम से
तो उस ने ये तक नहीं पूछा
कि
''तुमने इतने इम्तेहान दिए कैसे ''?... पूछने का साहस नहीं रहा होगा ! इसलिए खामोश रही आँखें चुराकर
बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,
sach me aisa hi hota aya hai ....hum kitna bhi soche .per bahut sari batein ander hi reh jati hai aur ham prateesha hi kerte rahte hai......
bhavo ki umda prastuti
बहुत ही बढ़िया।
सादर
Pratikshha ka pratikshha karna ek baar fir kahin bha gaya..:)
Anju ... tumhari har rachna me alag si kasish hoti hai.. kuchh kah nahi pata par kahin andar lagta hai... bahut behtareeeen:)
dil se kah raha hooon... sach me khubsurat rachna......
बेहतरीन प्रस्तुति
कल 01/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, कैसे कह दूं उसी शख़्स से नफ़रत है मुझे !
धन्यवाद!
हैं जीना मुश्किल तो ,मारना और भी मुश्किल.....
गहरी संवेदना लिए एक प्रेम और विरह युक्त कविता। आभार।
एक सुन्दर सी प्रतीक्षा..बहुत खूब अनु जी..
wahhhhhh
pratiksha kabhi khatam hi nahi hoti na annu...
बहतरीन रचना
सुन्दर भाव एवं अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!बधाई!
मनोभावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति..
सुन्दर रचना..
सादर.
एक बात तो है कि प्रतीक्षा में नींद बड़ी अच्छी आती है...
और नींद टूटने पर फिर वही प्रतीक्षा.....!
खूबसूरत....
बस वो देते हैं इती सी आज़ादी कि
मैं सज़ा लूँ कुछ अपने भी सपने अपने ही भीतर
पर नहीं देते वो स्वीकृति उन्हें
सच करने की,...
प्यार नें इतनी गहरी सज़ा ठीक नहीं होती ... प्रेम में तो उन्मिक्त छोड़ देना चाहिए ...
शानदार |
Dil ko cheer kar ehsaas jagaane wali kavita aapki bahut pasand aayee.
Life mai kai baar ham sirf wait karte rehte jaate hai...kabhi kisi pal ka, to kabhi kisi mulaakat ka, to kabhi kisi ki awaaj ka to kabhi apne hi shabdo ka jo awaaj ban nikalna chahte hai. Lekin jaise ki Shri Jagjit Singhji ki ghazal mai hai-
"jo jee chahe voh mil jaaye kab aisa hota hai"
Take care.
-Shaifali
dil ko chu lene vale shabd
प्रतीक्षा को सुन्दर शब्द दिये आपने....
बधाई.....
नेता,कुत्ता और वेश्या
pranam!
behad sunder abhivyakti , esi pratikshae naye baavo ko janam pradan karti hai ,badhai
saadar
बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुती .
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
सुंदर अभिव्यक्ति..
सुंदर अभिव्यक्ति..
vah Anju ji bahut hi khoobsoorat rachana ke liye apko bdhai.
अपनी प्रतीक्षा की प्रतीक्षा में....वाह !!!!!! अंतर्मन की सुंदर अभिव्यक्ति.
बहुत की गहरे एहसास के साथ सुन्दर प्रस्तुति. .....
bahut sundar ji...
bahut sundar ji...
ज़िन्दगी में हर पल, हर समय हम किसी न किसी घड़ी/लम्हें की प्रतीक्षा करते ही रहते हैं.. अंत तक.. यही सत्य है!
ये जिंदगी हमसे इम्तहान लेती रही ----तुमने इतने इम्तहान कैसे दिए |
गहरे भाव लिए पंक्तियाँ |भावप्रवण रचना |
आशा
सुंदर कविता...
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