सूर्य अस्त का वो दृश्य जो बहुत वक्त से मैं अपनी यादो में कैद करना चाहती थी ...उसका मौका मुझे गोवा में मिला.....सुना था कि समुन्द्र किनारे सूर्य अस्त देखते ही देखते हो जाता हैं ..पर इसे पहली बार देखा...मात्र ४५ सेकिण्ड के अंदर सूरज छिप गया ...ऐसा लगा जैसे पहाड़ और पानी के बीच ऐसी कोई ताकत छिपी बैठी थी जिसने उसे जोर से पकड़ कर अपनी कैद में ले लिया हो .....
ये लहरे ..जब चलते हुए कदमो को चूमती हैं तो उसका एक अलग ही एहसास होता हैं ...जो कभी शब्दों में नहीं लिखा जा सकता ...कोई साथ हो या ना हो ...पर मेरा मन हमेशा मेरा साथ देता हैं ..ये मैंने बहुत बार अकेले होने पर शिद्दत से महसूस किया हैं ...मैं रेत और पानी के बीच खड़ी हो कर ..खुशी से चिल्लाना चाहती थी ...पर ऐसा कर नहीं पाई ...ऐसा दृश्य...फिर कभी मैं देखूंगी या देख पाऊँगी .....ये आने वाले वक्त पर छोडते हैं .....
(सभी चित्र मेरे मोबाईल से लिए गए )
ये लहरे ..जब चलते हुए कदमो को चूमती हैं तो उसका एक अलग ही एहसास होता हैं ...जो कभी शब्दों में नहीं लिखा जा सकता ...कोई साथ हो या ना हो ...पर मेरा मन हमेशा मेरा साथ देता हैं ..ये मैंने बहुत बार अकेले होने पर शिद्दत से महसूस किया हैं ...मैं रेत और पानी के बीच खड़ी हो कर ..खुशी से चिल्लाना चाहती थी ...पर ऐसा कर नहीं पाई ...ऐसा दृश्य...फिर कभी मैं देखूंगी या देख पाऊँगी .....ये आने वाले वक्त पर छोडते हैं .....
सागर की आती हुई लहरों में
खोजने लगी थी अपना ही अक्स
जो मुझे मिला ...मेरी ही ताकत बन कर
उसने मुझे समझाया .....मत डर
ना तू घबरा ...बस निकल पड़
अपनी ही मंजिल पर ,बढ़ा कर
अपने कदम ...
टकरा जा ,अपनी मंजिल को पाने के लिए
अपनी ही सागर से ,और लुप्त
हो उसकी ही आगोश में ,
कुछ भी पाने को |
उठेंगे ज्वारभाटा ,आएँगी सुनामी भी
टकराएंगी लहरे चट्टानों से भी
फिर भी लहरों का अपना ही सौम्य
स्वरुप वैसा ही रहेगा ,
जैसी वो हैं ....|
(सभी चित्र मेरे मोबाईल से लिए गए )
23 comments:
सुंदर चित्र ..... आशान्वित करती रचना
इस गोवा को देखने का मन हे , लेकिन हर बार समय की कमी के कारण जा नही पाते, जब समय होता हे तो गोवा का मुड अच्छा नही होता, चलिये कभी जाना हुआ तो जरुर जायेगे, वैसे होगा तो आम बीच की तरह ही लेकिन यहां कुछ अपना पन लगेगा....
बेहतरीन। बधाई।
चित्र और कविता दोनों ही!
सागर की लहरों ने जो कुछ कहा .... बस उसे संजो लेना है
बिताए पलों के अहसासों की बेहतरीन प्रस्तुति
अच्छे चित्र ....
NEW POST...फिर से आई होली...
khubsurat rachna or man mohak chitra bhi ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
रंगों के त्यौहार होलिकोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ!
रचना एवं तस्वीरें...पसंद आईं.
jeewan me isi hauslae kee jarurat hai...bahut acchi rachna..sadar badhaayee...holi kee hardik shubhkamnaon sath
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - यहाँ पर सब शांति ... शांति है - ब्लॉग बुलेटिन
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
चित्र व रचना - दोनों ही सुन्दर!
खूबसूरत यादें संजो लायी हो।
कल 05/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह!
आपके इस प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 05-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
khoobsoorat....!!!!
देशाटन का संस्मरण यादगार रहे ,और होली की खुमार परवान चढ़े जीवनके सारे रंग अपने स्वरुप को सुघरता प्रदान करते हुए अनंत खुशियों को वरण करें ,होली की और सृजन की ह्रदय से बधाईयाँ जी /
सभी ब्लोगर मित्रों से क्षमा मांगती हूँ कि ...इस पोस्ट पर काम करते हुए गलती से सभी टिप्पणीयाँ डिलीट हो गई हैं ....
एक बार फिर से क्षमा मांगती हूँ .........अंजु (अनु )
बहुत प्यारी सी रचना...
भीगे से पलों को आपने बड़ा अच्छा कैद किया है...
शुभकामनाएँ ...
happy holi too....
लहरें हमेशा सुकून पहुंचती है ....धीरे धीरे आकर क़दमों में बिछकर लौटती हुई, पैरों के नीचे की रेत को भी बहा ले जाती हैं, मानो हमें साथ ले चलने को तत्पर ! पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर अच्छा लगा .....सुन्दर सोच!
चित्र शब्दों क बयाँ कर रहे है.... या शब्द चित्र को बयाँ कर रहे है.... पर जो भी दिल के सारे एहसास उकेर कर शब्दों में आ गए है......
शब्द -चित्र ... lazaawb आपका मोबाइल भी खूब है /
होली के अवसर पर ... मैं शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ की मई ... प्यार की पिचकारी में कभी छेद नहीं करूंगा
होली रंगों से भरा हो
मेरे भी ब्लॉग पर होली खेलने आयें /
शब्दों की खूबसूरती के साथ -साथ सुंदर तस्वीरें भी
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