आप सब दोस्तों की क्या राय हैं ......
आज अभी फेसबुक के माध्यम से ........खामोशी ...बहुत कुछ कहती हैं ...(http://ab8oct.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html...............ब्लॉग) पर जाने का मौका मिला ..वहाँ की पोस्ट पढ़ने के बाद मन खराब हो गया ..कि यहाँ के ब्लोगर्स क्यूँ किसी महिला ब्लोगर को सम्मानीय नहीं समझते ....एक छोटी सी बात को बड़ा चढा कर ...वो अपने शब्दों से और कितना गन्दा लिखेंगे ...ये हम नहीं जानते ..पर आजकल जो पढ़ने और देखने को मिल रहा हैं वो सच में निदनीय हैं ..फिमेल ब्लोगर ही नहीं ...मेल ब्लोगेर भी इस बात की निंदा कर रहे हैं ...अभी तक मैं ये ही समझ रही थी कि ये ब्लॉग...और ब्लोगर हम सबका परिवार हैं ...पर कुछ लोगो की अभद्र भाषा पढ़ कर मन बहुत निराश हुआ | यहाँ हम किसी को ये हक नहीं देते कि वो किसी भी महिला दोस्त की खुलेआम गंदे शब्दों से ...उसकी निंदा करे ...और जब मन चाहे कुछ भी बोल दे या जो मन में आए यहाँ आ कर लिख कर चला जाये ...यहाँ मैं आदमी और औरत की बात नहीं कर रही हूँ ...एक कॉमन बात आप सबके सामने रखने आई हूँ कि ....मुझे ऐसा लग रहा हैं जैसे ब्लोगर परिवार अपने विघटन पर हैं ..इसके दो गुट बन रहे हैं ...एक वो जो अपना वर्चस्व यहाँ छोडना नहीं चाहते ..और एक वो जो यहाँ कुछ गलत होता नहीं देखना चाहते .......अगर कोई मुझ से पूछेगा तो मैं भी ये ही कहूँगी कि .....मैं कुछ गलत होता नहीं देख सकती ...इस नेट ने ..और ब्लॉग ने इस से जुडने वाले को कुछ ना कुछ दिया ही हैं ...और इस की मर्यादा को हम सब को मिल कर संभाल कर रखनी हैं ......आप सब दोस्तों की क्या राय हैं ???????????????????
अनु
आज अभी फेसबुक के माध्यम से ........खामोशी ...बहुत कुछ कहती हैं ...(http://ab8oct.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html...............ब्लॉग) पर जाने का मौका मिला ..वहाँ की पोस्ट पढ़ने के बाद मन खराब हो गया ..कि यहाँ के ब्लोगर्स क्यूँ किसी महिला ब्लोगर को सम्मानीय नहीं समझते ....एक छोटी सी बात को बड़ा चढा कर ...वो अपने शब्दों से और कितना गन्दा लिखेंगे ...ये हम नहीं जानते ..पर आजकल जो पढ़ने और देखने को मिल रहा हैं वो सच में निदनीय हैं ..फिमेल ब्लोगर ही नहीं ...मेल ब्लोगेर भी इस बात की निंदा कर रहे हैं ...अभी तक मैं ये ही समझ रही थी कि ये ब्लॉग...और ब्लोगर हम सबका परिवार हैं ...पर कुछ लोगो की अभद्र भाषा पढ़ कर मन बहुत निराश हुआ | यहाँ हम किसी को ये हक नहीं देते कि वो किसी भी महिला दोस्त की खुलेआम गंदे शब्दों से ...उसकी निंदा करे ...और जब मन चाहे कुछ भी बोल दे या जो मन में आए यहाँ आ कर लिख कर चला जाये ...यहाँ मैं आदमी और औरत की बात नहीं कर रही हूँ ...एक कॉमन बात आप सबके सामने रखने आई हूँ कि ....मुझे ऐसा लग रहा हैं जैसे ब्लोगर परिवार अपने विघटन पर हैं ..इसके दो गुट बन रहे हैं ...एक वो जो अपना वर्चस्व यहाँ छोडना नहीं चाहते ..और एक वो जो यहाँ कुछ गलत होता नहीं देखना चाहते .......अगर कोई मुझ से पूछेगा तो मैं भी ये ही कहूँगी कि .....मैं कुछ गलत होता नहीं देख सकती ...इस नेट ने ..और ब्लॉग ने इस से जुडने वाले को कुछ ना कुछ दिया ही हैं ...और इस की मर्यादा को हम सब को मिल कर संभाल कर रखनी हैं ......आप सब दोस्तों की क्या राय हैं ???????????????????
अनु
52 comments:
सच कहूँ तो बात आदमी या औरत की नहीं है... वंदना ने एक पोस्ट की, जो लोगो को पसंद नहीं आयी ! सबकी अपनी अपनी सोच होती है, लोग उस पोस्ट को गलत कह सकते हैं, या प्रशंसा कर सकते हैं.. पर उस ब्लॉगर पे अश्लील फिकरे कसना. या फिर उसको अपशब्दों के साथ अलंकरण करना.... !! जितनी भी इस बात की भर्त्सना की जाय, कम नहीं होगा...
मुकेश जब कोई बात हद से ज्यादा आगे बढ़ जाती हैं तो उसके लिए बीच में रोकना टोकना जरुरी हो जाता हैं ....मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ
aise blog naa padha karo naa comment kiyaa karo
logon ne chhupee kunthaaaon ko nikaalne bhar kaa saadhan banaa liyaa hai ,is tarah likhtye hein jaise jeevan kaa bhaaree anubhav hai unhein,padhne se lagtaa hai katai samajh nahee hai.
Anju ji...
Ab samajh main aaya ye Vandana ji ki post par aapne likha...
Mera vichar hai ki apni apni soch hai... Vandana ji bahut badi blogger aur es parivar ki varishth sadasya hain...unke vishay main koi bhi tippani karna hame shobha nahi deta....theek hai unki kavita ka vishay jara samany se hatkar tha...par esi ve bhanti bhanti ke vishyon par kavitayen likhne ke liye hi to jaani jaati hain....its ok...bolen aur agle blog ki oor badh len agar aap alag raay rakhte hain to...kuchh likhna hi chahen to apni lakshman rekha swyam jane aur maryada ka ulanghan na ho aisa likhen...bas...
दीपक जी ..मैंने किसी का नाम नहीं लिखा ..पर आप समझ गए ...शुक्रिया ....
Vandana Gupta
वंदना ; ये तुम्हारे लिये :
http://apnokasath.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html?spref=fb
http://apnokasath.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html?spref=fb
http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/04/blog-post_07.html
हम सभी मित्र आपके साथ है . आप तो बस लिखते रहिये . जीवन चलते ही रहता है , इसकी गतिशीलता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है . कुछ लोग अगर आपके खिलाफ है तो बहुत से ज्यादा लोग आपके साथ भी है . और यही सबसे बड़ी बात है . लोग आपकी पोस्ट में मौजूद समस्या को छोड़कर उसकी भाषा और प्रस्तुति के पीछे पढ़ गए है . और सबसे बड़ी मूल समस्या इस देश की यही है . हम सभी मित्र आपके साथ है !!
shukriya vijay
अनु जी , यकीन जनिएगा जितनी भी पोस्टे इस विवाद से जुड़ी हुयी आई है वो सब एक तरफ और फेसबूक पर मचाई जा रही छीछालेदर एक तरफ ... मुझे यकीन है फेसबूक पर जो भी हो रहा है केवल निजी द्वेष के कारण किया जा रहा है ... बाकी जितनी भी बड़ी बड़ी बातें वहाँ की गयी है केवल दिखावा है ! नए लोग बहुत प्रभावित होंगे उनके इस कारनामे से ... पर ब्लोगिंग के इन 3 सालों मे मैं बखूब जान गया हूँ कौन कितने पानी मे है ! इन जैसे लोगो को सिर्फ प्रचार चाहिए ... जैसे भी मिले ! वंदना जी की पोस्ट का विरोध करने वाले यह अलबेला जी की पोस्ट का समर्थन करते है ... मज़े की बात यह उनको 'नंगई' से दिक्कत है जो फेसबूक पर खुद अपनी नंगी फोटो चिपका कर लोगो की राय पूछते है ! बहुत हुआ ... सुधार जाओ ... GET WELL SOON !
वंदना जी ब्लॉग जगत की खयाति प्राप्त संवेदनशील कवयित्री हैं, उनकी कविता में ऐसा कुछ नहीं जिसे आपत्ति जनक कहा जाए...एक सहज क्रिया को उन्होंने बहुत मर्यादित शब्दों में बंधा है...आलोचना करने वालों को कोई रोक नहीं सकता लेकिन उन्हें उपेक्षित किया जा सकता है...मैं आपके विचारों का अनुमोदन करता हूँ
नीरज
शिवम ...जब अच्छे लोगो के हाथ मिलंगे तो बुराई को भागना ही पड़ेगा ......शुक्रिया समर्थन के लिए
अंजू जी मै आपसे सहमत हूँ,गंदी सोच के लोगों को हर चीज में गंदगी ही दिखाई देगी,...अच्छी प्रस्तुति........
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
बहरहाल जो कुछ भी हो रहा है, वो ठीक नहीं है। इस पर रोक लगनी ही चाहिए.. बस
दोष किसका है, इसे बाद में तय कर लेगें,
पहले इस कश्ती को तूंफां से बचाया जाए,
ऐब औरों का गिनाने में महारत है जिसे,
ऐसे हर शख्स को आइना दिखाया जाए..।
आपकी बात से सहमत..अगर आप को कोई रचना पसन्द न आये तो मत पढ़िए या कमेन्ट मत दीजिए...लेकिन कमेन्ट में शालीनता का बनाए रखना सदैव अपेक्षित है..अपनी आलोचना/विचार दें लेकिन वह सार्थक होने चाहिए.
sahmat hu rachna pasand karna na karna apni jagah hai lekin is par tippani hamesha sanyamit hona chahiye..
मेरा यह मानना है कि,अगर कोई पोस्ट आप को पसंद नहीं आती तो उसकी चर्चा न करना ही बेहतर है!...इससे मन-मुटाव बढते है!..यहाँ हम अपना दिल खुश करने के लिए,जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए,अपना टैलेंट दिखाने के लिए या मन हलका करने के लिए...लिखते और पढते है!
बात स्त्री पुरुष की नहीं है ...अगर किसी की कोई रचना आपको पसंद नहीं आती तो आप आलोचना कीजिये.
आलोचना का अधिकार सबको है पर अपमान का अधिकार किसी को नहीं.
व्यक्तिगत फिकरे कसना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं हो सकता.
बेहद निंदनीय है जो भी हो रहा है.
जो कुछ भी हो रहा है, वो ठीक नहीं है। इस पर रोक लगनी ही चाहिए..मै आपसे सहमत हूँ..
बहुत ही निंदनीय है यह सब..
सबको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए...
कविता ना पसंद ना आए ना पढ़ें.....या उसकी आलोचना करें..
पर अपशब्द कहने का अधिकार किसी को नहीं है
इसकी भर्त्सना की जानी चाहिए.
पोस्ट हमने लिखी है वो अगर किसी को पसंद नहीं आती तो ना पढ़े हमने तो नहीं कहा पढने के लिए...... पर ब्लोग्गेर्स को ये अधिकार नहीं है की अपशब्दों का इस्तेमाल करे ..वंदना जी हम सभी आपके साथ है.... आप तो बस लिखते रहिये पर यह जो कुछ भी हो रहा है, इस पर रोक जरूर लगनी चाहिए.....अंजू जी आपसे सहमत हूँ !!!!
बस बात पसंद नापसंद की है ...... विरोध करना है तो कीजिये , पर वंदना जी ने किसी को संबोधित करके अपनी रचना का निर्माण नहीं किया , परन्तु लोग उनका नाम लेकर जिस अश्लीलता से उनकी रचना पर शतरंज खेल रहे , वह उनकी रुग्ण मानसिकता का द्योतक है ...
बस बात पसंद नापसंद की है ...... विरोध करना है तो कीजिये , पर वंदना जी ने किसी को संबोधित करके अपनी रचना का निर्माण नहीं किया , परन्तु लोग उनका नाम लेकर जिस अश्लीलता से उनकी रचना पर शतरंज खेल रहे , वह उनकी रुग्ण मानसिकता का द्योतक है ...
jise pasand nahi hai vo na padhe lekin kisi ko takliphdeh tippni nahi de-------mai aapse sahmat hu
what i write is my feeling if you dont like it please keep it yourself .dont make it public...I agree with you Anju ji...The poem was really truth of life...
मुकेश सिन्हा जी की बात से बिल्कुल सहमत हूँ.वैसे मुझे तो वंदना जी की पोस्ट में कोई अश्लीलता नज़र नहीं आई.उनकी पोस्ट पर कुछ और भी लोगों को एतराज था पर उन्होने शालीन तरीके से अपनी बात रखी वहीं कुछ लोग तो मर्यादा ही भूल गये.शिवम् मिश्रा जी का भी कहना भी सही है कि फेसबुक पर जो हो रहा है वह तो सबसे निंदनीय है.
facebook par aapki post padhi to pata chala ki blogjagat mein aisi kuch baat hui hai ... poori baat to pata nahi ... aapne jo link diya hai ... wo bhi click nahi ho raha ... par jitni baat samajh aayi hai wo ye ki vandana ji ki post ko lekar kuch vivaad hua hai ... main itna hi kahungi ki ... sabko apni baat kehne ka haq hai ... apne tarike sa ... agar wo kisi ki bhavnaon ko thes na pahun chata ho ... aur agar koi usko lekar bewajah bawaal khada kar raha hai ... aur abhadra bhasha ka istemaal kar raha hai ... to ye nindaniya hai ...
link mil gaya anju ji ... shukriya ...
यह सब निकृष्टता की हद जाकर लिखकर कौन सी विद्वता दिखा रहे हैं।
मैंने तो कसम खाई है कि ऐसे लोगों की एक भी पोस्ट नहीं पढ़ूंगा।
इनका सामाजिक वहिष्कार होना चाहिए।
मर्यादा का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। आजकल ब्लॉग की चर्चा प्रिंट ही नहीं एलेक्ट्रोनिक मीडीया में भी हो रही है।
लोग सीमा तोड़ व्यक्तिगत आक्षेप कर रहे हैं।
किसी भी रचना कि आलोचना या समालोचना स्वीकार्य है ...लेकिन किसी भी व्यक्ति पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर उसका अपमान नहीं किया जाना चाहिए ...
अंजू जी अभिषेख से सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया.... उसे धन्यवाद... फिर आपको भी.... वंदना जी की उक्त कविता में कुछ शब्दों से तो एतराज़ हो सकता है किन्तु कविता का कथ्य तो गंभीर और शाश्वत था. किन्तु कुछ लोग स्वयं को हिंदी ब्लॉग्गिंग को अपनी जागीर और ज़मीदारी समझते हैं...उन्हें एतराज़ है... फेसबुक पर तो जिस तरह से इस मसले को उठाया गया वह तो वाकई निन्दनीय है... किसी को रचना से एतराज़ हो सकता है किन्तु व्यक्तिगत रूप से अपमानित करने का अधिकार नहीं है... वंदनाजी से अनुरोध है कि वे अपने लेखन को इतना ऊँचा उठायें कि आलोचना पत्थर के नीचे सूखे हुई दूब हो जाये...
तुलसी बुरा न मानिए जो गंवार कह जाए .औरत को सिर्फ योनी समझने वाले गोबर गणेश hi यह उपद्रव कर रहें . हैं .
तुलसी बुरा न मानिए जो गंवार कह जाए .औरत को सिर्फ योनी समझने वाले गोबर गणेश hi यह उपद्रव कर रहें . हैं .
http://chitthacharcha.blogspot.in/2009/12/blog-post_31.html
read the above link and see this is not happening for the first time
and those who are saying सच कहूँ तो बात आदमी या औरत की नहीं है
should rethink
try to give me one single link where a woman has done आलोचना of anything and has targetted a man blogger or his life
man blogger stoop down low to target woman blogger and not what has been written by her
i have seen a lot of filth being written on hindi bloging and also people praising it
good you raised your voice against a wrong attitude
रश्मि जी से सहमत हूँ ....आपने सही समय पर ये पोस्ट डाली है
अंजू जी , एक बात बताइए ...कितने लोगों पर उस कविता का नेगटिव इम्पेक्ट हुआ ...? और जिनपर नहीं हुआ ...तो क्यों ...यह केवल मानसिकताएं हैं ..जा की रही भावना जैसी .......मैं नहीं जानती किसने उनके खिलाफ लिखा है ...लेकिन हाँ समाज के ठेकेदार बनना क्या ज़रूरी है .....?
आज 01/04/2012 को आपका ब्लॉग नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक किया गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आज 08/04/2012 को आपका ब्लॉग नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक किया गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
मेरा मानना है हर कोई अपने विचार रखता है और उसकी अभिव्यक्ति अपने शब्दानुसार करता है ...
बहुत से लोग अपने अंदाज़ से सोचते हैं और व्यक्त भी करते हैं ... जो अच्छा है उसदे लेनाचाहिए और जो बुरा है उसे छोड़ देना ही अच्छा है ...
अपना कान करते चलें ... बस करते चलें ...
अपनी राय तो ये है .....
अगर किसी की प्रशंसा नही कर सकते
तो निंदा से तो बचा जा सकता है ||
शुभकामनाएँ!
mera cmnt. kahan gaya?
हाँ अब कमेंट दिख रहा है.धन्यवाद!
अविनाश जी ने आज जो किया है उससे वो स्वयं ही लोगो की नजरो में गिर गये है कहते है न की जब हम किसी की तरफ एक उंगली उठाते है तो हमरी ही तीन उंगलिया हमारी तरफ ही इशारा करती है । हम जो आज गलत करते है उसका हमें भविष्य में भी भुगतान करना पड़ता है वो हमारे सामने एक न एक दिन जरुर आ खड़ा होता है । कल उन्होंने एक गलती की थी आज सभी न चाहते हुए भी उसका आइना बना कर उन्हें दिखा रहे है और आज जिस तरह की भाषा उन्होंने प्रयोग की है वो भविष्य में भी कभी अश्लीलता का किसी भी चीज का विरोध न कर पाएंगे ।
बहुत अच्छी बात कही है आपने।
वंदना जी के लिए अपने कई निजी और साझा ब्लॉग पर हम यही लिख चुके हैं और ब्लॉगर्स मीट वीकली 38 का ख़ास मुददा इस बार हमने यही रखा है।
सामाजिक सरोकार के प्रति किसी ब्लॉगर के चिंतन के पर क्यों कतर देना चाहते हैं कुछ ब्लॉगर ?
अपमान किसी का भी हो हम कभी बर्दाश्त नहीं करते और जो अपमान करता है हम उसे यह अहसास भी करा देते हैं कि अपमान की पीड़ा क्या होती है ?
उसके बाद वह किसी का अपमान करने से पहले 70 बार सोचता है।
अपने साथी ब्लॉगर को तो छोड़िए लोग मज़हबी शख्सियतों तक के नंगे फ़ोटो छापने से गुरेज़ नहीं करते और हिंदी ब्लॉगर की अक्सरियत इतनी गंभीर घटना का संज्ञान तक नहीं लेती।
ऐसे में इनके भरोसे तो कुछ होगा नहीं लेकिन इस काम के लिए दस पांच हौसलामंद ब्लॉगर्स को आपस में एक हो जाएं तो फिर यहां अपमान कोई न करेगा।
See
http://hbfint.blogspot.com/2012/04/38-human-nature.html
sab samaan hain!
Anu ji is post ke liye dhanyavaad... mujhe lagta hai ye vivaad kuchh jyada hi bada ho gaya jiska koi matlab nahi... isi par apna virodh prakat karte hue ek naya post likha hai...
http://ab8oct.blogspot.in/2012/04/blog-post_09.html
I agree with Neeraj Goswami,
"उनकी कविता में ऐसा कुछ नहीं जिसे आपत्ति जनक कहा जाए...एक सहज क्रिया को उन्होंने बहुत मर्यादित शब्दों में बंधा है." In fact such issues are relevant and should be blogged about.
I was glad to read, "कुछ लोग अगर आपके खिलाफ है तो बहुत से ज्यादा लोग आपके साथ भी है"
Also agree, "व्यक्तिगत फिकरे कसना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं है. रुग्ण मानसिकता का द्योतक है.
बेहद निंदनीय."
I agree with Neeraj Goswami,
"उनकी कविता में ऐसा कुछ नहीं जिसे आपत्ति जनक कहा जाए...एक सहज क्रिया को उन्होंने बहुत मर्यादित शब्दों में बंधा है." In fact such issues are relevant and should be blogged about.
I was glad to read, "कुछ लोग अगर आपके खिलाफ है तो बहुत से ज्यादा लोग आपके साथ भी है"
Also agree, "व्यक्तिगत फिकरे कसना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं है. रुग्ण मानसिकता का द्योतक है.
बेहद निंदनीय."
I agree with Neeraj Goswami,
"उनकी कविता में ऐसा कुछ नहीं जिसे आपत्ति जनक कहा जाए...एक सहज क्रिया को उन्होंने बहुत मर्यादित शब्दों में बंधा है." In fact such issues are relevant and should be blogged about.
I was glad to read, "कुछ लोग अगर आपके खिलाफ है तो बहुत से ज्यादा लोग आपके साथ भी है"
Also agree, "व्यक्तिगत फिकरे कसना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं है. रुग्ण मानसिकता का द्योतक है.
बेहद निंदनीय."
लेखन जगत में ऐसा व्यवहार ,बड़ा दुखद प्रसंग है,व्यक्तिगत छीटा कशी उचित नहीं
किसी को अगर कोई लेख विशेष या विषय पसंद नहीं आते तो वह न पढने के लिए स्वतंत्र है न कि उस लेख के कारण व्यक्ति विशेष का व्यक्तिगत अपमान किया जाए !
अपमान करने वाले को अपने मान की आशा भी नहीं रखनी चाहिए !
यह प्रकरण निंदनीय है !
शुभकामनायें ...
आपकी बातों से पूर्णत: सहमत हूं ...
कुछ अलग सी पोस्ट सच्चाई से कही गयी
aapki soch, aapki post.......
bhad me gye log, unki soch.
yha kisi ne kisi ko jabardasti padne pe mazboor nhi kiya h.
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