Thursday, May 31, 2012

अपने लिए

वे
अपने लिए
नारी की
हरेक परत से
गुज़रना चाहते हैं
सकल पदार्थ
प्यार ,
अनुभूतियाँ ,
चमत्कार ,बाज़ार ,
सरंक्षण ,
सभी कुछ
अपनी सांसों में समेट
नारी की
नैसर्गिकता के
त्याग भाव से
चौंकते हैं  

विभिन्न मुद्राओं ,
संदर्भों  में ,
सीमाएं
निश्चित कर चर्चा
समारोह  ,

समागमों से ,
नारी को
अपने में समेट लेना 

चाहते  हैं  |
वे 
अपने लिए .....|
(अनु)
 

( चित्र  गुगल  आभार से )



36 comments:

रेखा श्रीवास्तव said...

वाकई यही हो रहा है जिसे तुमने शब्दों में ढाल कर बयान कर दिया. बहुत सुंदर !

nilesh mathur said...

सुंदर अभिव्यक्ति। बड़े वो हैं वे ।

nilesh mathur said...

सुंदर अभिव्यक्ति।

***Punam*** said...

नि:शब्द से शब्द.....!!

vandana gupta said...

सच कहा जो करते हैं सिर्फ़ अपने लिये……सार्थक प्रस्तुति।

RITU BANSAL said...

ठीक कहा आपने ..

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत सुंदर

vijay kumar sappatti said...

सच तो है .. सब कुछ ही ..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..
अंतिम पंक्ति में वो कसक है जो आपने express करना चाहा है . " वे अपने लिये "

बहुत सही .

संध्या शर्मा said...

सदियों से यही होता आ रहा है, युग बदले लेकिन परिस्थितियां जस की तस हैं. गहन भाव... आभार

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

इच्छाओं की बात क्या, सदा रहे चौमास।
मुट्ठी में ना आ सका, लेकिन ये आकाश।


सुंदर रचना....
सादर।

रश्मि प्रभा... said...

वे .... !!! खुद के अस्तित्व के लिए नारी के अस्तित्व को समेट लेते हैं ... गंभीर अभिव्यक्ति

ANULATA RAJ NAIR said...

सच कहा.................
और उन्हें इसका एहसास भी नहीं........
:-(


अनु

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sahmat nahi hoon....!! agar we aisa karte hain, to aapne bhi to wahi kiya...!
waise sahitiyak drishti se khubsurat...kuchh shabd khinch rahe hain... jaise सकल पदार्थ प्यार ,अनुभूतियाँ ,चमत्कार ,बाज़ार ,सरंक्षण !!
abhar!!

मेरा मन पंछी सा said...

एकदम सही कहा है आपने....
हकीकत को शब्द दे दिया है आपने...
बहूत हि बेहतरीन रचना:-)

Kailash Sharma said...

बिलकुल सच...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

નીતા કોટેચા said...

bahut achche ...bahut sahi kaha

amit kumar srivastava said...

excellent thought..

अजय कुमार झा said...

हम पोस्टों को आंकते नहीं , बांटते भर हैं , सो आज भी बांटी हैं कुछ पोस्टें , एक आपकी भी है , लिंक पर चटका लगा दें आप पहुंच जाएंगे , आज की बुलेटिन पोस्ट पर

Maheshwari kaneri said...

बिल्कुल सही कहा... सुंदर अभिव्यक्ति।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक लिखा है ....नारी हमेशा ही भोग्या के रूप में ही रही है .

संतोष त्रिवेदी said...

आधुनिक पुरुष-प्रवृत्ति पर कटाक्ष !

तेजवानी गिरधर said...

बहुत अच्छी रचना है

तेजवानी गिरधर said...

बहुत अच्छी रचना है

Dr.Anita Kapoor said...

सार्थक प्रस्तुति।

Rewa Tibrewal said...

very true lines....sadiyon say aisa hi ho raha hai

दर्शन कौर धनोय said...

सच्चाई बया करती प्रस्तुति ..

Anamikaghatak said...

wah.....unique

देवेन्द्र पाण्डेय said...

संदेहाभिव्यक्ति।

शिवम् मिश्रा said...

बहुत सुंदर !

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन

mridula pradhan said...

bahut achchi lagi.....

Anonymous said...

ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho

Anonymous said...

ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho

Anonymous said...

ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho

Darshan Darvesh said...

कैसी कलम है जो ये सब शब्दों में ढाल लेती है. सुंदर.

Anupama Tripathi said...

अब नारी में इतनी शक्ति है कि वो महज भोग्या ही न रहे ...
सुन्दर अभिव्यक्ति ..

Dr.NISHA MAHARANA said...

satik abhiwayakti....