वे
अपने लिए
नारी की
हरेक परत से
गुज़रना चाहते हैं
सकल पदार्थ
प्यार ,
अनुभूतियाँ ,
चमत्कार ,बाज़ार ,
सरंक्षण ,
सभी कुछ
अपनी सांसों में समेट
नारी की
नैसर्गिकता के
त्याग भाव से
चौंकते हैं
विभिन्न मुद्राओं ,
संदर्भों में ,
सीमाएं
निश्चित कर चर्चा
समारोह ,
समागमों से ,
नारी को
अपने में समेट लेना
चाहते हैं |
वे
अपने लिए .....|
(अनु)
( चित्र गुगल आभार से )
अपने लिए
नारी की
हरेक परत से
गुज़रना चाहते हैं
सकल पदार्थ
प्यार ,
अनुभूतियाँ ,
चमत्कार ,बाज़ार ,
सरंक्षण ,
सभी कुछ
अपनी सांसों में समेट
नारी की
नैसर्गिकता के
त्याग भाव से
चौंकते हैं
विभिन्न मुद्राओं ,
संदर्भों में ,
सीमाएं
निश्चित कर चर्चा
समारोह ,
समागमों से ,
नारी को
अपने में समेट लेना
चाहते हैं |
वे
अपने लिए .....|
(अनु)
( चित्र गुगल आभार से )
36 comments:
वाकई यही हो रहा है जिसे तुमने शब्दों में ढाल कर बयान कर दिया. बहुत सुंदर !
सुंदर अभिव्यक्ति। बड़े वो हैं वे ।
सुंदर अभिव्यक्ति।
नि:शब्द से शब्द.....!!
सच कहा जो करते हैं सिर्फ़ अपने लिये……सार्थक प्रस्तुति।
ठीक कहा आपने ..
बहुत सुंदर
सच तो है .. सब कुछ ही ..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..
अंतिम पंक्ति में वो कसक है जो आपने express करना चाहा है . " वे अपने लिये "
बहुत सही .
सदियों से यही होता आ रहा है, युग बदले लेकिन परिस्थितियां जस की तस हैं. गहन भाव... आभार
इच्छाओं की बात क्या, सदा रहे चौमास।
मुट्ठी में ना आ सका, लेकिन ये आकाश।
सुंदर रचना....
सादर।
वे .... !!! खुद के अस्तित्व के लिए नारी के अस्तित्व को समेट लेते हैं ... गंभीर अभिव्यक्ति
सच कहा.................
और उन्हें इसका एहसास भी नहीं........
:-(
अनु
sahmat nahi hoon....!! agar we aisa karte hain, to aapne bhi to wahi kiya...!
waise sahitiyak drishti se khubsurat...kuchh shabd khinch rahe hain... jaise सकल पदार्थ प्यार ,अनुभूतियाँ ,चमत्कार ,बाज़ार ,सरंक्षण !!
abhar!!
एकदम सही कहा है आपने....
हकीकत को शब्द दे दिया है आपने...
बहूत हि बेहतरीन रचना:-)
बिलकुल सच...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
bahut achche ...bahut sahi kaha
excellent thought..
हम पोस्टों को आंकते नहीं , बांटते भर हैं , सो आज भी बांटी हैं कुछ पोस्टें , एक आपकी भी है , लिंक पर चटका लगा दें आप पहुंच जाएंगे , आज की बुलेटिन पोस्ट पर
बिल्कुल सही कहा... सुंदर अभिव्यक्ति।
सटीक लिखा है ....नारी हमेशा ही भोग्या के रूप में ही रही है .
आधुनिक पुरुष-प्रवृत्ति पर कटाक्ष !
बहुत अच्छी रचना है
बहुत अच्छी रचना है
सार्थक प्रस्तुति।
very true lines....sadiyon say aisa hi ho raha hai
सच्चाई बया करती प्रस्तुति ..
wah.....unique
संदेहाभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर !
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन
bahut achchi lagi.....
ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho
ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho
ek talkh haqiqat ki khoobsurat alfaazo ke jariye khoobsurati se pesh kiya aapne , badhai ho
कैसी कलम है जो ये सब शब्दों में ढाल लेती है. सुंदर.
अब नारी में इतनी शक्ति है कि वो महज भोग्या ही न रहे ...
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
satik abhiwayakti....
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