ये जानते हुए कि
मैं छोड़ी जा चुकी हूँ
फिर भी एक इंतज़ार है
कि तुम ....खुद से
अपनी गलती स्वीकार करो
ताकि मैं लौट सकूँ
जहाँ से मैं आई हूँ
पर मैं जानती हूँ
ये सब भ्रम है मेरे ही मन का |
हां ....सीता के देश में
मैं ..सीता सी नहीं हूँ
वो ,कर्तव्यों के लिए
त्यागी गई
और मैं ...अपने प्यार में
धोखे की खातिर...
अपवित्र ,और खरोंचा हुआ शरीर लेकर
खुद पर लज्जित हूँ
और अब तो दिल पर
एक बोझ सा लदा है
अपनी ही किस्मत का |
मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर ||
अंजु (अनु )
मैं छोड़ी जा चुकी हूँ
फिर भी एक इंतज़ार है
कि तुम ....खुद से
अपनी गलती स्वीकार करो
ताकि मैं लौट सकूँ
जहाँ से मैं आई हूँ
पर मैं जानती हूँ
ये सब भ्रम है मेरे ही मन का |
हां ....सीता के देश में
मैं ..सीता सी नहीं हूँ
वो ,कर्तव्यों के लिए
त्यागी गई
और मैं ...अपने प्यार में
धोखे की खातिर...
अपवित्र ,और खरोंचा हुआ शरीर लेकर
खुद पर लज्जित हूँ
और अब तो दिल पर
एक बोझ सा लदा है
अपनी ही किस्मत का |
मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर ||
अंजु (अनु )
63 comments:
कहीं कुछ सोचने को मजबूर करती रचना
कहीं कुछ सोचने को मजबूर करती रचना
bahot hi achiii rachna hai...ji..
Bahut sundar anu ji , sahitya ki sarita bahati rahe, bhav ubharte rahen aur ham anandit hoten rahen. Kya bat hai.
Bahut sundar anu ji , sahitya ki sarita bahati rahe, bhav ubharte rahen aur ham anandit hoten rahen. Kya bat hai.
बहुत अच्छी रचना है, बधाई
मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर || ये पंक्तियाँ मेरे दिल को छु गयी
please see http://ajmernama.com/guest-writer/22585
बहुत सुन्दर रचना अनु...
anu ji
gud post.
aapki post par kuch jodna chahti hun
मै सीता नही,सावित्री नही
मै हूँ बस एक नारी
जो किसी भी सूरत में
ना अबला ना बेचारी
भले ही तुमने मुझे भोगा
दिया है तुमने मुझे धोखा
फिर भी ये जीवन मेरा है
जीने का अधिकार मेरा है
अभी तक ढूंढती रही
तुझमें अपना जीवन
और तुम्हे बस दिखता
रहा मात्र मेरा यौवन
आज से चलूंगी मैं
नयी ऊर्जा से नयी राह पे
बनाने अपनी पहचान
जीने की नयी चाह लिये
वाह...एक अच्छी रचना से मुलाकात कराने के लिए धन्यवाद
वाह आपने तो मेरी कविता को और भी खूबसूरत बना दिया ....आभार
ज़िन्दगी की सलीब पर टंगा वजूद और तलाश ....... चार कांधों की,यानि मुक्ति की - ज़िन्दगी के कई पडाव कौंध गए इस दर्द में
बहुत सुन्दर अनु जी ! एक बहुत ही भावपूर्ण एवं सम्वेदना से परिपूर्ण रचना ! मन को कहीं गहराई तक कुरेद गयी !
stri kay man ki vyatha ko bahut khoob shabd diya hai apne...
निराशा जीवन के प्रति अपराध है ...
शुभकामनायें !
क्या कहूँ अंजु जी....
जो सफर चाहा वो मुक्कमल न हुआ...
अब अनजाने सफर की राह पकड़ ली.......
अनु
सच्चाई से रूबरू कराती बहुत सुंदर रचना
क्या बात
ओह... क्या चार कांधे का सफ़र मुक्ति दे सकेगा उसे उन जख्मों से जो उसके अपनों से मिले हैं... मर्मस्पर्शी भाव
ऊपर "पलाश" की टिप्पणी ने आपकी कविता को जो आशावादी मोड़ दिया है वो लाजवाब है,अनु जी।मेरी और से उन्हें बधाई। वास्तव में निराशा को अपने जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिए,हालात तो बदलते रहते है ना।
मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर ||
वक़्त ने रिश्तों को इतना समेट दिया है कि आपकी बाते सच लगने लगती हैं
एक स्त्री के मन की पीड़ा जो सदियों से अव्यक्त ही रही !
मर्मस्पर्शी रचना .... पर मुक्ति क्यों ? संघर्ष करना चाहिए ।
अनु जी आपकी रचना ने आज का दिन बना दिया, ह्रदय हो छू गई
दर्द ... यथार्थ से रूबरू कराती,ह्रदय को सोचने पर विवश करती सुन्दर रचना ....
सादर
दर्द ... यथार्थ से रूबरू कराती,ह्रदय को सोचने पर विवश करती सुन्दर रचना ....
सादर
दर्द ... यथार्थ से रूबरू कराती,ह्रदय को सोचने पर विवश करती सुन्दर रचना ....
सादर
नारी की एक व्यथा का सार है .... अपने आदर्शों से लड़ती मरती एक स्त्री का प्रतिरूप है ... बहुत कुछ बंया कर रही है ...... बेहद दिल को छू लेनेवाली रचना है अंजू जी .... ... बधाई
एक दर्द सा उकेर दिया अंजू जी... कमाल लिखा है...
bahut sundar bhaaw lage aapki is rachna ke anju ji ..behtreen abhiwykti
वाकई ज़िंदगी में एक बार ऐसा वक्त आता है जब इंसान को जीने की कोई इच्छा बाकी नहीं रह जाती और तब उसे तालश हॉटई है चार कंधों की ....बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
अच्छी रचना है, बधाई !
अच्छी रचना है, बधाई !
behad pranshaneey rachna..
अच्छी रचना
ओह ! इतना दर्द भर दिया
दर्द है जो ऐसे बाहर आया है?
बेहद गहन रचना..
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
aabhar...sambedanshil rachna
itna dard kyon????
kya jaruri hai aiseee soch ko sameten....
mukesh ...ye soch hai ...soch ka kya hai ...kuch bhi kabhi bhi
बहुत मर्मस्पर्शी और सशक्त भावाभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर
ओह ! जीवन में ऐसे पड़ाव भी आते रहते हैं।
मेरे लिए अब ये जरुरी था
कि ढूँढतीं फिरूं ,
अपने जिस्म को ढोने के लिए
वो चार कंधे ,
जिस पर तय करना है,मुझे अब ये
आखिरी सफर ||
bahut his under jeevan ka dukhad sach hai
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति -बहुत सुंदर भाव
राम भी तो बंधा है
अनेकों उलझे-सुलझे संबंधों
के जाल में, जंजाल में
कहीं है वह पुत्र
दशरथ का कैकयी का भी
सौतेला ही सहीं
कहीं बंधा है अपने ही
दिये वरदान के बंधन मे
शतरूपा और स्वयंभू मनु को दिये गये वरदान से
तो कहीं धोबी सरीखी प्रजा
के वचन बेंधते हैं उसके हृदय को
सीते!
क्या तुम भी नहीं समझ पायीं
मेरी व्यथा
क्या एकान्त केवल तुम्हें सालता है?
मुझे नहीं
Thanks Anu ji
Thanks sir ji
मर्म को स्पर्श करत बेहतरीन कविता...
जीवन दर्शन अथवा यथार्थ |
सुंदर चित्र से सजी बेहतरीन कविता. आत्मीय और भावपूर्ण.
सोचने को विवश करती हुई आपकी ये लाजवाब रचना..बहुत खूब|
सादर नमन |
कंधे ज्यादा से ज्यादा तलाशने चाहिए...जिससे वक्त पर कम से कम चार मिल जायें...मैंने तो देहदान का संकल्प ले लिया है...कभी इसी कशमकश से गुज़र के... सुन्दर भाव लिए प्रेरक रचना...
वाह,.... बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।
अंतिम सफर चार काँधे पर हो इसलिए तमाम उम्र की आहुति दे दी जाती है, जानते हुए कि ये चार काँधे उनसे ही मिलेंगे जिनसे जीवन भर तिरस्कार मिला... बहुत अच्छी रचना, बधाई.
कश्म कश्म भरे लम्हों की मार्मिक प्रस्तुति ...
ये जानते हुए कि
मैं छोड़ी जा चुकी हूँ
फिर भी एक इंतज़ार है
कि तुम ....खुद से
अपनी गलती स्वीकार करो
ताकि मैं लौट सकूँ
जहाँ से मैं आई हूँ
पर मैं जानती हूँ
ये सब भ्रम है मेरे ही मन का ...............सुन्दर पोस्ट
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
सीता सी नहीं हूँ
वो ,कर्तव्यों के लिए
त्यागी गई ...
बहुत शानदार रचना ।
बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।
very nyc..
bahut khoob..
वाह,.... बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।
हो सके तो पढियेगा, पोस्ट
चार दिन ज़िन्दगी के .......
बस यूँ ही चलते जाना है !!
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