यहाँ ..एक पल में ख्याब सजतें है
अगले ही पल टूट जाते है
तो मुझे क्या लुत्फ़ देंगी ,
इस ज़माने की कोई भी खुशी
बड़ी ही कशमकश में हूँ कि
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी
मेरे दिल के मंज़र से
तो कोई रोशनी कैसे
मुझे ,रोशन करेगी |
मैं ,अपनी ही बेचैनियों से
बेचैन हूँ बहुत ,
तो कैसे ,किसी की बेकरारियाँ
बेक़रार करेंगी मुझे |
कभी खींच लेता था मुझे ,
उसका ज़ज्बा-ए -दिल
पास खुद के
अब खुद में ही खाली हूँ
तो कैसे मैं ,मान लूँ कि ,
अब ,किसी भी दिलबर
का शिकार बनूँगी |
वो आए ,ना आए
अब कोई आरजू भी नहीं
अगर मिले वो कल तो
क्या समझाएँगे वो मुझे
क्यों कि वो पल
अब कहीं गुम है ,
हम दोनों के बीच
अब कुछ ,बाकि भी तो नहीं |
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से
हाँ ! हैं जहाँ सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले ||
अंजु (अनु)
अगले ही पल टूट जाते है
तो मुझे क्या लुत्फ़ देंगी ,
इस ज़माने की कोई भी खुशी
बड़ी ही कशमकश में हूँ कि
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी
मेरे दिल के मंज़र से
तो कोई रोशनी कैसे
मुझे ,रोशन करेगी |
मैं ,अपनी ही बेचैनियों से
बेचैन हूँ बहुत ,
तो कैसे ,किसी की बेकरारियाँ
बेक़रार करेंगी मुझे |
कभी खींच लेता था मुझे ,
उसका ज़ज्बा-ए -दिल
पास खुद के
अब खुद में ही खाली हूँ
तो कैसे मैं ,मान लूँ कि ,
अब ,किसी भी दिलबर
का शिकार बनूँगी |
वो आए ,ना आए
अब कोई आरजू भी नहीं
अगर मिले वो कल तो
क्या समझाएँगे वो मुझे
क्यों कि वो पल
अब कहीं गुम है ,
हम दोनों के बीच
अब कुछ ,बाकि भी तो नहीं |
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से
हाँ ! हैं जहाँ सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले ||
अंजु (अनु)
50 comments:
सुन्दर रचना ......badhaai...
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
.
.
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले |बहुत सुंदर .
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी ...
आह...
सुन्दर रचना....
अनु
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से
हाँ ! हैं जहाँ सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले ||
बड़ी गहरी बात कह दी आपने सदर नमन ...
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी,,,,
उत्कृष्ट भावमय अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST LINK ...: विजयादशमी,,,
सुंदर रचना
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
:-)
अब कोई आरजू भी नहीं
अगर मिले वो कल तो
क्या समझाएँगे वो मुझे
क्यों कि वो पल
अब कहीं गुम है ,
बहुत सुंदर रचना
क्या बात..
सच में कभी कभी ही ऐसी रचनाएं सामने आती हैं
हर दिल दर्द भरा है तो फिर क्या गम है .... सुंदर प्रस्तुति
हाँ ! हैं जहाँ सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले ||
bahut dardbharee abhiwayakti .... .......
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
रामराम.
अनु जी ये पंक्तियाँ तो ह्रदय में बस गईं . सुन्दर अति सुन्दर।
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी
दर्द की छांव भी तो अब कम हो रही है ...
ख्वाब सजते ही क्यों है, जब टूट जाना है ... बहुत सुन्दर रचना
bhavpoorn abhivyakti ....
क्यों मुझे से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
क्यों शहर खाली है,आज भी ...
आह...
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
मैं ऐसी पंक्तियां नहीं सोच सकता
काजल भाई ...जो आप सोचते हो वो हम नहीं सोच सकते :)))
हाँ ! हैं जहाँ सौ-हज़ार ,
अब वहाँ मैं भी हूँ ....
अब वहाँ मैं भी हूँ
उसी दर्द की छाँव तले |
बहुत सही बात कही है , वैसे ये इस दुनियां का उसूल है।
man ki gahraeeyon se nikli behatarin rachana.....
bahut sundar rachna.....gehri dard bhari baat...
बहुत खूब...
बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति..
wahhhhh bahut badhiya ji..
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से.
दिलसे निकले भाव और जीवन की सच्चाई को स्वीकार करने की हिम्मत. बेहतरीन प्रस्तुति.
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 31/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
शुक्रिया यशोदा जी
bahut ache always the best
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से
....बहुत खूब! बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना...
MARMIK KAVITA KE LIYE BADHAAEE .
शानदार भावपूर्ण प्रस्तुति....शुभकामनायें
बहुत ही भावपूर्ण एवं हृदयग्राही रचना ! हर शब्द जैसे मन पर आघात सा करता रहा और आँखें नाम होती रहीं ! बहुत ही सुन्दर !
पीड़ा की अनुभूति को अभिव्यक्त करती हुयी रचना !
amazing
बहुत सुन्दर लगी पोस्ट।
atulniy-****
तो मुझे क्या लुत्फ़ देंगी ,
इस ज़माने की कोई भी खुशी....
बहुत ही ऊँचे भाव के साथ शुरू हुई ये कविता... शानदार
BAHUT HI SUNDAR RACHNA .........क्यों कि वो पल
अब कहीं गुम है ,
हम दोनों के बीच SAHI BILKUL BEHTREEN
विरह और दर्द की हूबहू तस्वीर ...!!!
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली हैं बिना किस दर्दे-दाग से ....
दर्द में भींगी सच्चाई को शब्द देती अच्छी प्रस्तुति....
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना...
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना...
बहुत ही बढ़िया रचना |
आशा
यहाँ ..एक पल में ख्याब सजतें हैं
अगले ही पल टूट जाते हैं
तो मुझे क्या लुत्फ़ देगी ,
इस ज़माने की कोई भी खुशी
बड़ी ही कशमकश में हूँ कि
क्यों मुझ से वो ही पल
बार बार रूठ जाते हैं ,
जिस से मेरी ही दुनिया
आबाद होती थी |
अब कुछ ,बाकी भी तो नहीं |
आज ,यहाँ कौन सा दिल है जो
जो खाली है बिना किस दर्दे-दाग से
अपने ही अंदाज़ की बढ़िया रचना .दोबारा पढ़ी और भी अच्छी लगी .
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति,
RECENT POST LINK...: खता,,,
बहुत सुंदर रचना.....बधाई
भाव-विभोर करती रचना .
बहुत सुन्दर...
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
Post a Comment