Tuesday, January 8, 2013

कुछ रिश्ते मन के ऐसे भी





एक  सोच है, जब कोई अड़चन या मन में दुविधा हो तो खुद से अकेले में बाते करना, सोचना और एक नयी उर्जा के साथ आगे बढ़ना,मन में एक नयी रोशनी का संचार करता है |बहुत अधिक सोचने की अवस्था में किसी एक दोस्त की छोटी सी कही गई बात भी मन के भीतर उत्साह भर देती है|

कुछ रिश्ते मन के ऐसे भी

हम अपने साथ साथ
अपने साथ के समस्त तारों को
अपने अंदर चमकते हुए महसूस करते हैं
ये सब,हमारे भीतर अपनी अपनी
रोशनी संग विराजमान हैं
जब जग सो जाता हैं ,
तो विचार और शब्द हमारी
सोच के साथ
आंखमिचौली खेलने लगते
नींद से बोझिल आँखे,
अचानक से, मौन के तारे गिनने लगती है
रात की अटारी में हम सब
अपने अपने विचारों संग
एक नया गीत बुनते हैं
रात की चलती पवन
मन में उठे अति उत्साहित विचारों को
शब्द देती हैं
और हम सारथी बन
अपने गीतों को
एक  नई राह दिखाते हैं ,
हमारी आशाओं से 
स्वतंत्रत विचार बनते  हैं
जैसे मरुस्थल का अपना सौंदर्य होता है
और पत्थर भी पूजे जाते हैं
ठीक वैसे ही,वो खुदा
हमारी असफलता में हाथ थामता है
और सफलता की राह की ओर
हमें एक साथ आगे बढ़ाता हैं
दिन प्रतिदिन,धीरे-धीरे
हम कदम से कदम मिला
आज और सदा-सर्वदा के लिए
एक ही पथ के साथी बन
उन्मुक्त भाव से,
अब हम
साथ साथ विचरण करने को तैयार हैं |

अंजु(अन)

39 comments:

kavita verma said...


हम अपने साथ साथ
अपने साथ के समस्त तारों को
अपने अंदर चमकते हुए महसूस करते हैं
ये सब,हमारे भीतर अपनी अपनी
रोशनी संग विराजमान हैं
जब जग सो जाता हैं ,
तो विचार और शब्द हमारी
सोच के साथ
आंखमिचौली खेलने लगते
bahut khoobsurat bhav hai...behtareen.

Unknown said...

behatareen जैसे मरुस्थल का अपना सौंदर्य होता है
और पत्थर भी पूजे जाते हैं
ठीक वैसे ही,वो खुदा
हमारी असफलता में हाथ थामता है
और सफलता की राह की ओर
हमें एक साथ आगे बढ़ाता हैं
दिन प्रतिदिन,धीरे-धीरे
हम कदम से कदम मिला
आज और सदा-सर्वदा के लिए
एक ही पथ के साथी बन
उन्मुक्त भाव से,
अब हम
साथ साथ विचरण करने को तैयार हैं New posts ko dekhe|

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर रचना
क्या कहने

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर .... यही अर्थपूर्ण रिश्ते कहे जा सकते हैं.............

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर .... यही अर्थपूर्ण रिश्ते कहे जा सकते हैं.............

अशोक सलूजा said...

खुबसूरत भावो के ....गहरे अहसास !
और हम सारथी बन
अपने गीतों को
एक नई राह दिखाते हैं ,
हमारी आशाओं से
स्वतंत्रत विचार बनते हैं
शुभकामनायें!

अरुन अनन्त said...

रिश्तों की रिमझिम बरसात वाह मज़ा आ गया बेहद सुन्दर रूप से वर्णित हार्दिक बधाई.

रंजू भाटिया said...

जब जग सो जाता हैं ,
तो विचार और शब्द हमारी
सोच के साथ
आंखमिचौली खेलने लगते
नींद से बोझिल आँखे,
अचानक से, मौन के तारे गिनने लगती है
रात की अटारी में हम सब
अपने अपने विचारों संग
एक नया गीत बुनते हैं ..sahi kaha sundar rachna

इमरान अंसारी said...

वाह....बहुत ही सुन्दर भाव ।

अजय कुमार said...

achchhe bhaav achchhee rachanaa

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही उमंगमयी, बिल्कुल प्रार्थना गीत जैसी, बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

seedhe saade shabdo me kaho... sapno me shabd srijan karte ho aap :)
behtareen :)

Unknown said...

बहुत सुन्दर

ब्लॉग बुलेटिन said...

तस्मात् युध्यस्व भारत - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Anju (Anu) Chaudhary said...

आभार

सुज्ञ said...

कोमल भावोँ से परिपूर्ण!!

रश्मि प्रभा... said...

हम साथ साथ विचरण करने को तैयार हैं - sach hai sach se juda bilkul nahi

Pallavi saxena said...

rishton ki gahan bhav abhivyakti....

નીતા કોટેચા said...

BAHUT HI BADHIYAA

ठीक वैसे ही,वो खुदा
हमारी असफलता में हाथ थामता है

usne khud ke rup me yaha bahut logo ko insan banake bhi bheja hai jaise tum annu...jiska muje anubhav hai..

Unknown said...

wah bahut sundar rachna

Niraj Pal said...

सुन्दर, संवेदनशील।

Niraj Pal said...

सुन्दर, संवेदनशील।

धीरेन्द्र अस्थाना said...

रिश्तों की नीव ही सहयोग का भाव है !
अच्छी रचना !

avanti singh said...

.सार्थक अभिव्यक्ति

Asha Lata Saxena said...

एक भावपूर्ण रचना |

दिगम्बर नासवा said...

जब जग सो जाता हैं ,
तो विचार और शब्द हमारी
सोच के साथ
आंखमिचौली खेलने लगते ,...

सच कहा है ... नीद से पहले ये आंखमिचोली अक्सर होती रहती है ...
इस अवस्था को सही पकड़ा है आपने ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आत्म अवलोकन सा करती सुंदर प्रस्तुति

Kailash Sharma said...

रात की चलती पवन
मन में उठे अति उत्साहित विचारों को
शब्द देती हैं
और हम सारथी बन
अपने गीतों को
एक नई राह दिखाते हैं ,

....वाह! अंतस के कोमल अहसासों का बहुत ख़ूबसूरत चित्रण...

मन के - मनके said...

खुद से बेहतर,मार्गदर्शक कोई नहीं,अकेलापन ज़रूरी है
खुद को पाने के लिये.भावों को पिरोती हुई रचना.

मन के - मनके said...

खुद से बेहतर,मार्गदर्शक कोई नहीं,अकेलापन ज़रूरी है
खुद को पाने के लिये.भावों को पिरोती हुई रचना.

मन के - मनके said...

खुद से बेहतर,मार्गदर्शक कोई नहीं,अकेलापन ज़रूरी है
खुद को पाने के लिये.भावों को पिरोती हुई रचना.

Anju (Anu) Chaudhary said...

शुक्रिया यशोदा जी

वाणी गीत said...

खुद से खुद का सहारा जैसे कि साथ है खुदा !

कालीपद "प्रसाद" said...

जैसे मरुस्थल का अपना सौंदर्य होता है
और पत्थर भी पूजे जाते हैं
ठीक वैसे ही,वो खुदा
हमारी असफलता में हाथ थामता है
और सफलता की राह की ओर
हमें एक साथ आगे बढ़ाता हैं
दिन प्रतिदिन,धीरे-धीरे
हम कदम से कदम मिला
आज और सदा-सर्वदा के लिए
एक ही पथ के साथी बन
उन्मुक्त भाव से,
अब हम
साथ साथ विचरण करने को तैयार हैं |
खुद में खुदा मिले तो सब का साथ मिले :
New post : दो शहीद

Onkar said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Mamta Bajpai said...

सुंदर विचार

वीना श्रीवास्तव said...

खूबसूरत भावनाओं के साथ गहन विचार...

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