Tuesday, June 11, 2013

कैसे मेल हो



तू पुरब का वासी
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
 
तू विचारों  का रेला
मैं अनपढ़ गंवार भली
मिले ना अपनी कोई बात
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
 
तू क्षितिज के उस 
पार
मैं लाली हूँ 
नई सुबह की
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
 
तेरा शाही भंडार
मेरे सर गरीबी की मार
है अपना स्तरीय कटाव 
कैसे मेल हो
बोलो तो ||

तेरी दुनिया
चापलूसों से घिरी
मैं खुद में अलबेली सरकार
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
 
तुझ में सागर सा 
उछाल 
मैं शांत झील सी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||

तू चट्टान सा 
ऊँचा 
मैं समतल 
मैदान सी 
कैसे मेल हो 
बोलो तो ||

तू आश्वासन की 
धार 
मैं विश्वास की 
कमान 
कैसे मेल हो 
बोलो तो ||

तू मधुदान का 
प्रतिदान 
मैं अनुराग 
अटल 
कैसे मेल हो 
बोलो तो ||

तू पुरब का वासी
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
 
अंजु(अनु)

53 comments:

Neeta Mehrotra said...

बहुत सुन्दर

Rewa Tibrewal said...

Anju didi aur unki kavitayein kya sundar mel hai bolo tho.......anupam mel

Anju (Anu) Chaudhary said...

आभार नीता जी

Anju (Anu) Chaudhary said...

शुक्रिया रेवा

Ramakant Singh said...

अद्भुत उत्तर दक्षिण का मेल संभव कहाँ?

ताऊ रामपुरिया said...

माना कि दोनों ही दो छोर हैं पर दो छोर मिलकर ही संपूर्णता को प्राप्त होते हैं, बहुत ही सटीकता और खूबसूरती से आपने बात कही, बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

Pallavi saxena said...

यह सारे मेल हों ना हों, मगर आपकी लिखी पंक्तियों का यहाँ बहुत खूबसूरत मेल ज़रूर हुआ है। :)शुभकामनायें...

Unknown said...

SUNDAR BHAV

Dr.NISHA MAHARANA said...

waah yahi to mel ki widambna hai .....jo sabko nahi dikhta ....

kavita verma said...

kya baat hai anju ji ...

अज़ीज़ जौनपुरी said...

milan ki sambhavnao me tirohan ko vykt kari rachan

ashokkhachar56@gmail.com said...

वाह बहुत खूब

Tamasha-E-Zindagi said...

वाह लाजावाब

Ranjana verma said...

बहुत खूब !!

shaveta said...

bahut khoob

Unknown said...

बहुत सुन्दर! बधाई इस रचना पर!

वाणी गीत said...

पूरब पश्चिम का कैसे मेल हो , मगर हैं दो विपरीत धुर्वों के आकर्षण पर पृथ्वी ठहरी है :)

Anonymous said...

पूरब और पश्चिम की पृष्ठभूमि मन से अंकित होती हुई शब्दों की पंख लिए जो उड़ान भारती है... बहौत खूब ! - पंकज त्रिवेदी

Anonymous said...

पूरब और पश्चिम की पृष्ठभूमि मन से अंकित होती हुई शब्दों की पंख लिए जो उड़ान भारती है... बहौत खूब ! - पंकज त्रिवेदी

Mansoor ali Hashmi said...

अति सुन्दर.

[किन्तु, सिर्फ शीर्षक पढ़ कर जो जवाब बन गया था ....वो ये था ….

" मैं 'जी-मेल' हूँ , बोला तो !" फ़िर…।

--वो 'हॉट-मेल' थी खोला तो ,
कुछ अजब लगा जब बांचा तो,
उड़ गए है तोते समझा तो !"

http://mansooralihashmi.blogspot.com

Anju (Anu) Chaudhary said...

आभार जी ...समझने के लिए

Vijay K Shrotryia said...

अच्छी अभिव्यक्ति.... विजय

Unknown said...

बहुत खूब

Anonymous said...

मेल मन का

बस दिल की माने

बाकी न जाने
...

Satish Saxena said...

वाह वाह ...
सही जवाब !!!

अरुण चन्द्र रॉय said...

sundar...

रंजू भाटिया said...

तू मधुदान का
प्रतिदान
मैं अनुराग bahut sundar rachna bahut pasand aayi

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छा है, बहुत सुंदर


मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html

Sadhana Vaid said...

बहुत खूबसूरत रचना ! हर शब्द माला में मोती सा गुंथा हुआ ! बहुत सुंदर !

विभा रानी श्रीवास्तव said...

कहते हैं अन-मेल ,अनमोल जोड़ी होता है
नहीं तो बोर हो जाये जिंदगी
हार्दिक शुभकामनायें

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अब तो पूरब भी पश्चिम ही बनता जा रहा है ..... सुंदर प्रस्तुति ।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

purab ki daasi
pachham ki wasi
wah re milan :)

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर...

aditya chaudhary said...

bahut khubsurat...... badhai.

nayee dunia said...

मेल तो फिर भी होगा , मन ने मन की सुन ली अब और क्या मेल होना बाकी है

nayee dunia said...

मेल तो फिर भी होगा , मन ने मन की सुन ली अब और क्या मेल होना बाकी है

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
धन्यवाद

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बधाई ,

recent post : मैनें अपने कल को देखा,

कालीपद "प्रसाद" said...

वाह बढ़िया रचना !

latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !

दिगम्बर नासवा said...

जहां मन नहीं माने वहां मेल हो भी तो कैसे ...
लाजवाब पंक्तियाँ हैं ...

Madan Mohan Saxena said...

वाह .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

संध्या शर्मा said...

लाजवाब अनमेल लिखे हैं आपने... बहुत खूबसूरत प्रस्तुति... शुभकामनायें

Amrita Tanmay said...

सुन्दर 'बेमेल-मेल'..

अज़ीज़ जौनपुरी said...

बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह ,बहुत सुन्दर रचना

Rohit Singh said...

सवाल सच मं बड़ा है। पूरब औऱ पश्चिम का जहां मेल होता है वहां जबरदस्त सामंजस्य होता है..वरना एक जगह सूरज उगता है...दूसरी जगह डूबता है....हां दोनो उदय-अस्त होते वक्त गगन लोहित हो जाता है

M VERMA said...

सुंदर रचना

Unknown said...

bahut achchhi prastuti. magar aaj log bemel ki taraf hi daud rahe hai

हितेष said...

एक अलग स्वाद है इस छंद में !! बहुत सुन्दर रचना !!

Dr. Shorya said...

बहुत सुन्दर

संजय भास्‍कर said...

पंक्तियाँ हैं लाजवाब ...बहुत बहुत खूबसूरत रचना

tbsingh said...

sunder rachana.

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर!

शकुन्‍तला शर्मा said...

जैसे जल और अग्नि का युग्म है वैसे ही दो विपरीत गुणों में विचित्र आकर्षण होता है ।