तू पुरब का वासी
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू विचारों का रेला
मैं अनपढ़ गंवार भली
मिले ना अपनी कोई बात
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
मैं अनपढ़ गंवार भली
मिले ना अपनी कोई बात
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू क्षितिज के उस
पार
मैं लाली हूँ
नई सुबह की
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तेरा शाही भंडार
मेरे सर गरीबी की मार
है अपना स्तरीय कटाव
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तेरी दुनिया
चापलूसों से घिरी
मैं खुद में अलबेली सरकार
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
मेरे सर गरीबी की मार
है अपना स्तरीय कटाव
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तेरी दुनिया
चापलूसों से घिरी
मैं खुद में अलबेली सरकार
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तुझ में सागर सा
उछाल
मैं शांत झील सी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू चट्टान सा
ऊँचा
मैं समतल
मैदान सी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू आश्वासन की
धार
मैं विश्वास की
कमान
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू मधुदान का
प्रतिदान
मैं अनुराग
अटल
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
तू पुरब का वासी
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
मैं पछम की दासी
कैसे मेल हो
बोलो तो ||
अंजु(अनु)
53 comments:
बहुत सुन्दर
Anju didi aur unki kavitayein kya sundar mel hai bolo tho.......anupam mel
आभार नीता जी
शुक्रिया रेवा
अद्भुत उत्तर दक्षिण का मेल संभव कहाँ?
माना कि दोनों ही दो छोर हैं पर दो छोर मिलकर ही संपूर्णता को प्राप्त होते हैं, बहुत ही सटीकता और खूबसूरती से आपने बात कही, बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
यह सारे मेल हों ना हों, मगर आपकी लिखी पंक्तियों का यहाँ बहुत खूबसूरत मेल ज़रूर हुआ है। :)शुभकामनायें...
SUNDAR BHAV
waah yahi to mel ki widambna hai .....jo sabko nahi dikhta ....
kya baat hai anju ji ...
milan ki sambhavnao me tirohan ko vykt kari rachan
वाह बहुत खूब
वाह लाजावाब
बहुत खूब !!
bahut khoob
बहुत सुन्दर! बधाई इस रचना पर!
पूरब पश्चिम का कैसे मेल हो , मगर हैं दो विपरीत धुर्वों के आकर्षण पर पृथ्वी ठहरी है :)
पूरब और पश्चिम की पृष्ठभूमि मन से अंकित होती हुई शब्दों की पंख लिए जो उड़ान भारती है... बहौत खूब ! - पंकज त्रिवेदी
पूरब और पश्चिम की पृष्ठभूमि मन से अंकित होती हुई शब्दों की पंख लिए जो उड़ान भारती है... बहौत खूब ! - पंकज त्रिवेदी
अति सुन्दर.
[किन्तु, सिर्फ शीर्षक पढ़ कर जो जवाब बन गया था ....वो ये था ….
" मैं 'जी-मेल' हूँ , बोला तो !" फ़िर…।
--वो 'हॉट-मेल' थी खोला तो ,
कुछ अजब लगा जब बांचा तो,
उड़ गए है तोते समझा तो !"
http://mansooralihashmi.blogspot.com
आभार जी ...समझने के लिए
अच्छी अभिव्यक्ति.... विजय
बहुत खूब
मेल मन का
बस दिल की माने
बाकी न जाने
...
वाह वाह ...
सही जवाब !!!
sundar...
तू मधुदान का
प्रतिदान
मैं अनुराग bahut sundar rachna bahut pasand aayi
अच्छा है, बहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
बहुत खूबसूरत रचना ! हर शब्द माला में मोती सा गुंथा हुआ ! बहुत सुंदर !
कहते हैं अन-मेल ,अनमोल जोड़ी होता है
नहीं तो बोर हो जाये जिंदगी
हार्दिक शुभकामनायें
अब तो पूरब भी पश्चिम ही बनता जा रहा है ..... सुंदर प्रस्तुति ।
purab ki daasi
pachham ki wasi
wah re milan :)
बहुत सुन्दर...
bahut khubsurat...... badhai.
मेल तो फिर भी होगा , मन ने मन की सुन ली अब और क्या मेल होना बाकी है
मेल तो फिर भी होगा , मन ने मन की सुन ली अब और क्या मेल होना बाकी है
आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
धन्यवाद
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बधाई ,
recent post : मैनें अपने कल को देखा,
वाह बढ़िया रचना !
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LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
जहां मन नहीं माने वहां मेल हो भी तो कैसे ...
लाजवाब पंक्तियाँ हैं ...
वाह .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
लाजवाब अनमेल लिखे हैं आपने... बहुत खूबसूरत प्रस्तुति... शुभकामनायें
सुन्दर 'बेमेल-मेल'..
बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह ,बहुत सुन्दर रचना
सवाल सच मं बड़ा है। पूरब औऱ पश्चिम का जहां मेल होता है वहां जबरदस्त सामंजस्य होता है..वरना एक जगह सूरज उगता है...दूसरी जगह डूबता है....हां दोनो उदय-अस्त होते वक्त गगन लोहित हो जाता है
सुंदर रचना
bahut achchhi prastuti. magar aaj log bemel ki taraf hi daud rahe hai
एक अलग स्वाद है इस छंद में !! बहुत सुन्दर रचना !!
बहुत सुन्दर
पंक्तियाँ हैं लाजवाब ...बहुत बहुत खूबसूरत रचना
sunder rachana.
सुन्दर!
जैसे जल और अग्नि का युग्म है वैसे ही दो विपरीत गुणों में विचित्र आकर्षण होता है ।
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