Saturday, January 25, 2014

नेता और राजनीति


अपने नेताओं में 
पहले जैसी बात कहाँ 
बिन मांगे मिल जाए इंसाफ
अब वो हालत कहाँ

वक़्त के साथ साज़ बदल रहे 
देश में गद्दार बढ़ रहे 
हो रही कुर्सी की होड़ यहाँ 
अब ईमान की
वैसी रात कहाँ 
पहले जैसी बात कहाँ

 


राज़ की बाते राज़ रही
गँवारो के हाथों 
हमेशा सरकार रही
इस देश में अब
पहले जैसी बात कहाँ

बुत बने बैठे हैं

सरकारी अफसर और
रहनुमा यहाँ
विषैली राजनीति में
धरणों की भरमार यहाँ
फिर भी धुल जाते 
सारे पाप यहाँ
अब,पहले जैसी बात कहाँ


कैसा ये गणतन्त्र है

कैसी है ये स्वतन्त्रता
लेश मात्र भी किसी नेता को
कोई लज्जा नहीं  

ना पाप का अहसास है
ना है आदमी असली
मौत भी बेरंग नहीं
बढ़ रहा छल पल पल यहाँ
अब पहले जैसी बात कहाँ ||

                                                             

14 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय भारत।
भारत माता की जय हो।

Kailash Sharma said...

आज के हालात का बहुत प्रभावी और सटीक चित्रण..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस प्रस्तुति को आज की राष्ट्रीय मतदाता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन (मेरी 50वीं बुलेटिन) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Amrita Tanmay said...

सच!अब वो बात कहाँ ?

vandana gupta said...

सुन्दर प्रस्तुति …………भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हो तो पहले खुद को बदलो
अपने धर्म ईमान की इक कसम लो
रिश्वत ना देने ना लेने की इक पहल करो
सारे जहान में छवि फिर बदल जायेगी
हिन्दुस्तान की तकदीर निखर जायेगी
किस्मत तुम्हारी भी संवर जायेगी
हर थाली में रोटी नज़र आएगी
हर मकान पर इक छत नज़र आएगी
बस इक पहल तुम स्वयं से करके तो देखो
जब हर चेहरे पर खुशियों का कँवल खिल जाएगा
हर आँगन सुरक्षित जब नज़र आएगा
बेटियों बहनों का सम्मान जब सुरक्षित हो जायेगा
फिर गणतंत्र दिवस वास्तव में मन जाएगा

Anju (Anu) Chaudhary said...

आभार आप सबका .....

Kunwar Kusumesh said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

Anita said...

जनता ही तो चुनती है ऐसे नेताओं को...जनता को सजग होना होगा..

राज चौहान said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

Maheshwari kaneri said...

अब वो बात कहाँ ? सच कहा..अंजु जी..

दिगम्बर नासवा said...

ये समस्या इसलिए है की आज़ादी के बाद के नेता स्वार्थ में जुटे रहे ... देश की चिंता नहीं की ... और आज उन्ही की परिपाटी चली आ रही है ...

ताऊ रामपुरिया said...

अब तो खानापूर्ति ही लगती है, हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया said...

अब तो खानापूर्ति ही लगती है, हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम.

प्रेम सरोवर said...

रूचिकर एवं मनभावन प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।