हमने बादलो को घिरते देखा है
छोटे-छोटे मोती जैसे
उसके शीतल महीन कणों को,
खुद पर गिरते देखा है,
ऊँचे हिमालय के कंधों पर
उभर आया वो सतरंगी
इन्द्रधनुष भी ...
वर्षाऋतु के आने पर
हमने बादल से उसे
निकलते देखा है......
वो थी वर्षाऋतु की सुप्रभात
निकलते देखा है......
वो थी वर्षाऋतु की सुप्रभात
मंद-मंद थी ठंडी हवा का बहाव
मद्धम मद्धम थी किरणे
सूरज की....काले बदलो में
खेलती सी
एक दूसरे से करते वो
अठखेली थे
अलग-अलग रहकर ही जिनको
साथ निभाना था....
साथ निभाना था....
हमने बादल को भी
खेलते देखा है......
तेज़ बारिश की सुबह
खेलते देखा है......
तेज़ बारिश की सुबह
चारो ओर था पानी ही पानी
वर्षा ऋतु के आगमन पर
छा गई हरियाली ...
खिल उठा बगीचे का हर फूल
खिल उठा बगीचे का हर फूल
पंछियों की आवाजों से गूंज
उठा ये आकाश सारा
हमने बादल को आज
फिर बरसते देखा है.....
ठहरे पानी में बच्चों की
हमने बादल को आज
फिर बरसते देखा है.....
ठहरे पानी में बच्चों की
तैर उठी कागज़ की कश्ती
मस्तानी सी
उनके नन्हे पावँ
पानी में छप छप करते
ये दृश्य बड़ा सुहाना था
बरस पड़ेगी कभी भी
ये काली सी बदली...जिसको हमने
गरज-गरज भिड़ते
अभी अभी देखा है,
हमने बादल को
फिर से घिरते देखा है....
(अनु )
18 comments:
सावन को सजीव कर दिया है आपने शब्दों से ... बहुत लाजवाब लिखा है ...अनु जी
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ..आभार ।
सावन को अपने सुन्दर शब्दो से सजीव कर दिया ..सुन्दर प्रस्तुति....
savan ko shabd dekar ek naye dhang se paribhashit kar diya. isi ko kahte hain na ki ek cheej alag alag vyakti dvara alag alag drishtikon se dekhi jati hai.
sanjay ji....vandana ji...
reakha di..sada ji
or kaneri ji...
bahut bahut aabhar aapka ...
Mam bahut hi sundar or pyari rachna likhi hai,
bahut khub,
jai hind jai bharatMam bahut hi sundar or pyari rachna likhi hai,
bahut khub,
jai hind jai bharat
भीगे भीगे से मौसम की भीगी भीगी नज़्म
बहुत सुंदर, लाजवाब और भावपूर्ण प्रस्तुती!
सुंदर अभिव्यक्ति !!
baraste moasam si rachna....
पंछियों की आवाजों से गूंज
उठा ये आकाश सारा
हमने बादल को आज
फिर बरसते देखा है.....
लाजवाब, सजीव और भावपूर्ण शब्द.
waah shabdon ki barish ne
man ko bhigo diyaa kitna s
undar prastut kiya hai aapne
anu ji shabdon ko aur
unme bikhre bachpan ke
rang waah man khush ho gaya
यादों को ताज़ा करती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...!!!
मेरा आपसे निवेदन है कि 16 अगस्त से आप एक हफ्ता देश के नाम करें, अन्ना के आमरण अनशन के शुरू होने के साथ ही आप भी अनशन करें, सड़कों पर उतरें। अपने घर के सामने बैठ जाइए या फिर किसी चौराहे या पार्क में तिरंगा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाइए। इस बार चूके तो फिर पता नहीं कि यह मौका दोबारा कब आए।
यादों को ताज़ा करती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...
मेरा आपसे निवेदन है कि 16 अगस्त से आप एक हफ्ता देश के नाम करें, अन्ना के आमरण अनशन के शुरू होने के साथ ही आप भी अनशन करें, सड़कों पर उतरें। अपने घर के सामने बैठ जाइए या फिर किसी चौराहे या पार्क में तिरंगा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाइए। इस बार चूके तो फिर पता नहीं कि यह मौका दोबारा कब आए।
aafareen!!
अद्भुत प्रकृति चित्रण .....सावन के फुहारों जैसी झर-झर झरती रचना
अशोक अरोरा http://shuk-riya.blogspot.com/
वो बादलों का घिरना
वो रिम झिम उनका बरसना
वो सुबह का आलम
वो मंद मंद बयार
वो बच्चों की मस्ती
वो कागज कश्ती
और जाते हुए सावन
यूं रह रह बरसना
ये आज समझ आया है
कि क्यूँ सावन ...
आखिर सावन होता है||
...............सावन की सुंदर अभिव्यक्ति ......अनु जी आपको धन्यवाद इस रचना के लिए..
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