ऊँची उड़ान
एक ऊँची उड़ान
बादलों का शहर
उन पर ठहरा सा प्रतीत
होता ,मेरी कल्पना का जहान
मुस्कुराते ,चिढाते ...
कुछ आँखों से अठखेली
करते ये बादल ..
यहाँ सांसे भी चलती है
कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?
क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....
जहाँ मन है खोया खोया
और तन की भाषा भी
बदली बदली सी है ....
इस खुले आसमान में
रात भी जगी जगी सी है ....
जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई ...
सुनो अगर मेरे दिल की
धड़कन तो ...
सांसो में बसी आवाज़ हो तुम
तुम हो बर्फ
हम हैं पानी
अपने अपने देश की
हम है कहानी....
माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||
अनु
31 comments:
wahh kya likhte ho aap..subhanalah !
जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई !
haa aap ki lakhni
mai kashish hai anjuji !
KALPANA KI UDAAN PYARI HAI DOST!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति,आभार.
बहुत सुन्दर...बधाई
सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
kya baat hai....bahut hee khoobsoorat!!
ऊँची उड़ान ..अच्छी भावाभिव्यक्ति
वाह अनु जी !
अति सुन्दर भाव और उनकी खूबसूरत प्रस्तुति |
प्यार के खुमार की सुन्दर अभिव्यक्ति।
रचना और प्रस्तुतीकरण...दोनों...लाजवाब
नीरज
"माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं"...
बहुत बढ़िया
bahut hee khoobsoorat ahsaas bahut pyare shabdon men piroye huye
बहुत भावपूर्ण रचना है,वाह.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने!
rajiv ji ki tippani....jo mujhe mail se mili.....
rajiv kumar to me
15:57 (1 hour ago)
अनु,ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं हो पा रही है,इसलिए मेल से भेज रहा हूँ.
"माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||"
जब एक-दूसरे के ख्यालों में शिद्दत से खोये हों तो दूरियां होती ही कहाँ हैं?वाकई लाजवाब प्रस्तुति.
ASHOK ARORA
.........दूरियों वह नज़दीकीयों के एहसास को जगाती एक बहुत सुदर रचना .....अनु...जी
मुझे उम्मीद है, शायद ये कुछ पंक्तियां ....इस एहसास को जो मैंने महसूस किया,को बयाँ करने में कुछ कामयाब हों...........
जो कोई अज़ीज़ होता है
जब वोह दूर होता है
ना दिल को सुकून होता है
बातौं में वही होता है
ख्यालौं में वही होता है
दिल में उसकी याद होती है
होंठों पे उसी का नाम होता
....अशोक अरोरा....
लाजवाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....
जहाँ मन है खोया खोया
और तन की भाषा भी
बदली बदली सी है ....
इस खुले आसमान में
रात भी जगी जगी सी है
...
बादलों के संग ...प्रेम और पिया का साथ .वह ..क्या बात....? .
भई ऊंची बात है, गहरी बात है
कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....
क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....
लाजवाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बधाई
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति........
क्या बात है, बहुत सुंदर
जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई ...
सुनो अगर मेरे दिल की
धड़कन तो ...
सांसो में बसी आवाज़ हो तुम
तुम हो बर्फ
हम हैं पानी
अपने अपने देश की
हम है कहानी....
माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||
wahhhhhhhhhhhh bahut badhiya...
दिल की आवाज़ कलम के साथ?
खूबसूरत है..
आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
क्या बताये उसको
क्या छुपायें उससे
एक ही नज़र में जिसने ले ली है
तलाशी
मेरे दिल और दिमाग की
अच्छी पंक्तियाँ है, मनोविज्ञान के सिद्धांतो को परिभाषित करती हुई ..
एक मनोवैज्ञानिक कविता
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sundar bhavpurn abhivyakti hai..
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