Monday, September 5, 2011

ऊँची उड़ान


ऊँची उड़ान




एक ऊँची उड़ान
बादलों का शहर
उन पर ठहरा सा प्रतीत
होता ,मेरी कल्पना का जहान
मुस्कुराते ,चिढाते ...
कुछ आँखों से अठखेली
करते ये बादल ..
यहाँ सांसे भी चलती है
कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?


क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....
जहाँ मन है खोया खोया
और तन की भाषा भी
बदली बदली सी है ....
इस खुले आसमान में
रात भी जगी जगी सी है ....

जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई ...
सुनो अगर मेरे दिल की
धड़कन तो ...
सांसो में बसी आवाज़ हो तुम
तुम हो बर्फ
हम हैं पानी
अपने अपने देश की
हम है कहानी....
माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||

अनु


31 comments:

naren said...

wahh kya likhte ho aap..subhanalah !

जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई !
haa aap ki lakhni
mai kashish hai anjuji !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

KALPANA KI UDAAN PYARI HAI DOST!!

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

दिलबागसिंह विर्क said...

कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

डॉ. मनोज मिश्र said...

बेहतरीन भावाभिव्यक्ति,आभार.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...बधाई

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति ||

बधाई ||

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai....bahut hee khoobsoorat!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ऊँची उड़ान ..अच्छी भावाभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर said...

वाह अनु जी !
अति सुन्दर भाव और उनकी खूबसूरत प्रस्तुति |

vandana gupta said...

प्यार के खुमार की सुन्दर अभिव्यक्ति।

नीरज गोस्वामी said...

रचना और प्रस्तुतीकरण...दोनों...लाजवाब

नीरज

राजीव तनेजा said...

"माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं"...
बहुत बढ़िया

masoomshayer said...

bahut hee khoobsoorat ahsaas bahut pyare shabdon men piroye huye

Kunwar Kusumesh said...

बहुत भावपूर्ण रचना है,वाह.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने!

Anju (Anu) Chaudhary said...

rajiv ji ki tippani....jo mujhe mail se mili.....


rajiv kumar to me

15:57 (1 hour ago)

अनु,ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं हो पा रही है,इसलिए मेल से भेज रहा हूँ.


"माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||"
जब एक-दूसरे के ख्यालों में शिद्दत से खोये हों तो दूरियां होती ही कहाँ हैं?वाकई लाजवाब प्रस्तुति.

shuk-riya said...

ASHOK ARORA

.........दूरियों वह नज़दीकीयों के एहसास को जगाती एक बहुत सुदर रचना .....अनु...जी

मुझे उम्मीद है, शायद ये कुछ पंक्तियां ....इस एहसास को जो मैंने महसूस किया,को बयाँ करने में कुछ कामयाब हों...........

जो कोई अज़ीज़ होता है
जब वोह दूर होता है
ना दिल को सुकून होता है
बातौं में वही होता है
ख्यालौं में वही होता है
दिल में उसकी याद होती है
होंठों पे उसी का नाम होता

....अशोक अरोरा....

Suresh kumar said...

लाजवाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||

बी.एस.गुर्जर said...

क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....
जहाँ मन है खोया खोया
और तन की भाषा भी
बदली बदली सी है ....
इस खुले आसमान में
रात भी जगी जगी सी है
...
बादलों के संग ...प्रेम और पिया का साथ .वह ..क्या बात....? .

ALOK PURANIK said...

भई ऊंची बात है, गहरी बात है

सुनील गज्जाणी said...

कुछ बाते मेरे
दिलो-दिमाग में भी बसती है
पर हर वक़्त
लबों के दरमियान
खामोशियाँ ही क्यूँ बसती है ?

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Sunil Kumar said...

सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....

amrendra "amar" said...

क्या बताएँ उसको और क्या
छुपाएँ उस से कि ...
एक ही नज़र में ले ली तलाशी
उसने मेरे दिलो दिमाग की ....

लाजवाब बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बधाई

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति........

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात है, बहुत सुंदर


जब तुमको देखा तो
बरसो की साध पल में
मुस्कान में बदल गई ...
सुनो अगर मेरे दिल की
धड़कन तो ...
सांसो में बसी आवाज़ हो तुम
तुम हो बर्फ
हम हैं पानी
अपने अपने देश की
हम है कहानी....

નીતા કોટેચા said...

माना कि
दूर हो तुम
तो पास हम भी नहीं हैं ....
फिर भी अपने अपने
प्यार के खुमार मे डूबे हुए से हम हैं ||

wahhhhhhhhhhhh bahut badhiya...

Pratik Maheshwari said...

दिल की आवाज़ कलम के साथ?
खूबसूरत है..

आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...

Manoranjan Manu Shrivastav said...

क्या बताये उसको
क्या छुपायें उससे
एक ही नज़र में जिसने ले ली है
तलाशी
मेरे दिल और दिमाग की

अच्छी पंक्तियाँ है, मनोविज्ञान के सिद्धांतो को परिभाषित करती हुई ..
एक मनोवैज्ञानिक कविता

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मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये !! - पार्ट 1

Baghel's said...

अनु जी, लाजबाब.. बेहतरीन अल्फाज शब्द नहीं हैं तारीफ़ करने को .. शब्द जैसे रूह में उतर गए और मंत्रमुग्ध से हो गए हम ...

मेरा मन पंछी सा said...

sundar bhavpurn abhivyakti hai..