असमंजस ......
लिखते लिखते रूकती ,
लेखनी का असमंजस
पढने के बाद ,
समझ का असमंजस
दो राहे पर खड़े ,
बचपन का असमंजस
अंतिम पड़ाव पर ,
वृद्धावस्था का असमंजस
बुझते चिरागों का भी असमंजस
लुटती अस्मत में ,
लिखते लिखते रूकती ,
लेखनी का असमंजस
पढने के बाद ,
समझ का असमंजस
दो राहे पर खड़े ,
बचपन का असमंजस
अंतिम पड़ाव पर ,
वृद्धावस्था का असमंजस
तूफ़ान की कालरात्रि में ,
गिरती बिजली का असमंजस
सागर के किनारों पर ,
टकराती लहरों का असमंजस
मन में उठते प्रश्नों को ,
उत्तर देने का असमंजस
अजीब सा एहसास और ,
रूकती सांसों का असमंजस
झड़ते पत्तो और ,गिरती बिजली का असमंजस
सागर के किनारों पर ,
टकराती लहरों का असमंजस
मन में उठते प्रश्नों को ,
उत्तर देने का असमंजस
अजीब सा एहसास और ,
रूकती सांसों का असमंजस
बुझते चिरागों का भी असमंजस
लुटती अस्मत में ,
बहते लहूँ का असमंजस
पेट की आगे में ,
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
अनु
पेट की आगे में ,
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
अनु
30 comments:
बहुत ही सुंदर कविता...
बहुत ही सुंदर कविता...
सच है कि जिंदगी असमंजस मे ही बीत जाती है, बधाई।
सच है कि जिंदगी असमंजस मे ही बीत जाती है, बधाई।
Bahut umda .....
Man ka haal likha he...
बहुत सुन्दर ।
बधाई अनु जी ।।
झुलसते बचपन का असमंजस
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस |
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बहुत सुंदर प्रस्तुति,..प्रभावी रचना,..
अनु जी,...बधाई
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
इन्हीं असमंजसों के बीच सामंजस्य बनाने का नाम ही तो ज़िन्दगी है।
sundar rachna..
bahut sundar bhav -----jindgi ke baare me sabki apni apni sonch hoti hai
बहुत खूबसूरती से भावों को उकेरा है ।
बहुत खूबसूरत रचना ... !
Bahut Sunder...
क्या बात है!! बहुत सुन्दर
behatreen rachana ...bahut bahut abhar Anju ji
टूटते सपनो का ,
बिछड़ते अपनों का असमंजस
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
bahut sanvedi rachna ..........
wah...beautiful lines
sari jindagi kaibar asamaj me gujar jati hai....satik rachna...
क्षितिजा के लिये बधाई...पहली कविता ही इतनी प्रभावशाली है, आशा है शेष भी पढ़ने को मिलेंगी,
बधाई हो!
कभी अवसर मिला तो पुस्तक पढ़ने की अभिलाषा हम भी रखते हैं!
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बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...!
अति खूबसूरत
सुंदर कविता
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
अंतस की भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण...
इंसान होने के साथ
कविह्रदय होने का असमंजस ||
kasmkas fir bhi kuch to hai jo aage chalane sochane ko majabur karata hai.
Bahut hi khubsurat rachna...
अच्छी रचना है ....
शुभकामनायें !
यह जीवन ही स्वयं में एक असमझ है
वाह बहुत खूब ये रचना पढकर लगता है की जीवन का नाम ही है असमंजस बहुत सुन्दर शब्द को लेकर लिखी रचना ..............असमंजस |
पूरा जीवन यूं ही असमंजस में निकल जाता है कभी कभी ... सुन्दर रचना है ...
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