चाय का कप
चाय का कप
जो पकड़ाया तुमने
तो ..हाथ को छू गए
वो एहसास ...अंदर तक
जो है साथ होने का
साथ देने का
और प्यार से कहने का
अनु...लो चाय ..
हम साथ पीयेंगे
बैठ कर यही
इस बालकोनी में .....
थी ठण्ड
पर महसूस नहीं हुई
तुम्हारे करीब आने से
या उस
चाय के आने से
कब दिया तुमने वो
प्याला मुझे?
कब मैंने उसे
पी डाला था ?
तुम्हारी ही मदहोशी में
एक एहसास भर था
ठण्ड में
तुम साथ हो
पर ,तुम्हरे साथ ने
उस मदहोशी को
बरक़रार रखा
कब ,तुम उठे
कब लेके आए
दुशाल मेरा....
फिर से मिला
नरम एहसास और
स्पर्श तुम्हारा
तुम बोले
लो एक कप ओर चाय .............. ||
अनु
43 comments:
चाय का एक कप.
बेहतरीन कविता.
फिर से मिला
नरम एहसास और
स्पर्श तुम्हारा
तुम बोले
लो एक कप ओर चाय ...
वाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन अहसासो भरी लाजबाब रचना,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
वाह जी वाह ! ताजगी भरी चाय |
bahut hi komal ehsas ka chitran
ओयहोय
वाह! एहसासों से लबालब भरी कविता....
सुन्दर...
सादर.
ओए होए ..क्या चाय है :)
कंवल पंखुड़ियों सा कोमल अहसास
बहुत सुंदर,
इन एहसासों को वाकई शब्दों में ढालना आसान नहीं है, फिर भी आपने जिस तरह से इस अहसास को शब्द दिया है, काबिले तारीफ
बहुत बहुत शुभकामनाएं
वाह वाह वाह..
बहुत ही खुबसूरत...
कोमल सा अहसास है..
:-)
वाह...प्रेम में डूबी अद्भुत रचना...बधाई
नीरज
इस चाय में तो नशा होगा पक्का..................
:-)
महसूस करने की बात है, देखिये एक कप चाय ने दिए कितने सुन्दर अहसास...
ek cup chai aur...
waah... chai se chai tak ki baat...
don kno much about such feelings, but yes can say they must be something superb...
वाह!
फिर से मिला
नरम एहसास और
स्पर्श तुम्हारा
तुम बोले
लो एक कप ओर चाय ....
बहुत कोमल एहसास को ले कर बुनी कविता ...
ओर चाय ... को "और चाय" कर लें
वाह ...एक अलग तरह की नयी सोच की नज़्म.. amazing thought flow . भई मान गये ..
चारों तरफ कुछ सर्द कुछ दुशाले सा लिपटा एहसास .... कोई नाम न दो
भावपूर्ण रचना क्या कहने...
बहुत ही सुन्दर..
भावविभोर करती रचना...
भावपूर्ण रचना क्या कहने...
बहुत ही सुन्दर..
भावविभोर करती रचना...
achha chay aise bhi pee jati hai ....malum naa tha.........dil ko chhu gayee aapki kavita....
bahut sundar kavita anu....chay aise bhi pee jati hai malum naa tha....
कमाल की कविता है
हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)
अनुपम भाव लिए नाजुक सी कविता ... बेहतरीन
उम्दा खुबसूरत रचना
(अरुन =arunsblog.in)
chai ki taajagi aur garmahat sundar ehsason ke sath..behad khoobsurat.
अनु...लो चाय ..
हम साथ पीयेंगे
बैठ कर यही
इस बालकोनी में .....!
.....सच्चे दिल की चाहत ऐसी ही होती है . अति सुन्दर लिखा है !
badi pyari si.....
बहुत सुन्दर गर्माहट भरी रचना ...अपनों का साथ हो चाय का प्याला हो फिर और क्या चाहिए
एक कप और चाय ...
इन शब्दों में जीवन का सुख सिमित आता है कभी कभी ... नर्म एहसास लिए ... खोबसूरत रचना ...
kaify azmi ka likha hua kuch yad aa gaya"jindgi nam hai khush lamho ka,jisme do bolti aankhe,
chay ki pyali se uthein,doob ke dil mein kahein,
aj tum kuch na kaho,aj mein kuch na kahoon, bus yunhi methe rahe.........
behtareen kavita.......
कोमल अहसासों से परिपूर्ण बहुत प्यारी रचना...
अनु जी कप के साथ-साथ चाय भी अच्छी थी। क्योंकि उसमें भावनाओं का शक्कर घुला था।
jivan bhar yahi ehsaas to hamaare rishto ko majboot banaye rakhte hain.
ek aahsas se paripurn komal v khoob surat antar man ki bhav -bhini prastuti
bahut hi sundar---
poonam
Bahut hi sundar ahsaas karati huyi khubsurat rachna....
थी ठण्ड
पर महसूस नहीं हुई
तुम्हारे करीब आने से
बहुत खूब .. यह एहसास भी निराला है
बेहतरीन रचना |
आशा
चाय का एक कप भी मन के भीतर प्यार के उपवन खिला जाता है जब भीतर प्यार हो तब हर अहसास दिल को छू जाता है...
चाय भी तभी अच्छी तभी लगती जब किसी अपने के साथ पी जाए.
खूबसूरत एहसास के साथ बहुत सुंदर कविता.
प्रेम का अदभुत अहसास, शुभकामनाएं.
रामराम.
चाय का एक कप.....गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
Esi chai roz mil jaye to kya baat ho....
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