राधा और कृष्ण का प्रेम ...जहाँ एक ओर राधा अपने
प्रेम भावनाओं में बह रही है ...अपने मन के भाव को कृष्ण के साथ बाँट रही
है...वहीँ दूसरी ओर वो अपने मन और कृष्ण को ये समझाने में असमर्थ है कि वो
उनके जाने पर कितनी दुखी है ...प्रेम और जुदाई के भाव को लेकर लिखी गई रचना
.......
मंद मंद समीर की
सूर्योदय बेला में मंद मंद समीर की
शीतल स्पर्श से तुम्हारे
पुलकित है मन मेरा |
उमस भरी रजनी की
अलसायी आँखों में
सुरभित झोंकों से
गुंजित है
पुलकित है मन मेरा |
उमस भरी रजनी की
अलसायी आँखों में
सुरभित झोंकों से
गुंजित है
बांसुरी वादन तुम्हार |
वायु के मृदु अंक में
खिली हर कली कली
मधुर संगीत की धुन पर
भ्रमर, ये अंग अंग मेरा |
खुले आकाश तले
तुम्हारी ,हथेलियों पर रख कर वायु के मृदु अंक में
खिली हर कली कली
मधुर संगीत की धुन पर
भ्रमर, ये अंग अंग मेरा |
खुले आकाश तले
शीश अपना
झूमती हूँ मैं,पल पल ||
******************************
*********झूमती हूँ मैं,पल पल ||
******************************
कैसे कहूँ अब तुम से
जाने से तुम्हारे ,विचलित हूँ
झुलस जाऊँगी ,विरह में तुम्हारे
तुम्हारा ये छलिया रूप
कुछ मंद,कुछ तेज
यह संगम किसको समझाऊँ मैं
तुम्हारे प्रेम की अग्नि में
तप गई ये प्रेम दीवानी
किसको अब दिखलाऊँ मैं जाने से तुम्हारे ,विचलित हूँ
झुलस जाऊँगी ,विरह में तुम्हारे
कुछ किरण ,कुछ धूप
कुछ पकड़ में आने लायक तुम्हारा ये छलिया रूप
कुछ मंद,कुछ तेज
यह संगम किसको समझाऊँ मैं
तुम्हारे प्रेम की अग्नि में
तप गई ये प्रेम दीवानी
भस्म हुई फिरती हूँ ,
कैसे तुम्हें समझाऊँ मैं
हे प्रभु ! क्यों इतना स्नेह बरसाते हो
कि मन भ्रमित हो जाता है और
फिर,रिमझिम नैना बरसते हैं |
माना,मैंने
एक दृष्टि तुम्हारी
सारी पीड़ा हर लेती है
क्यों अब इन नैंनो को
उम्र भर...राह तकने की
सज़ा दिए जाते हो
जितनी भीगी प्रेम में तुम्हारी
उतनी ही अब अपनी प्यास दिए जाते हो
होठों पर कैसे लाऊँ
करुण पुकार मैं अपनी
उम्र भर का इंतज़ार,तुम्हारा
क्यों मुझे दिए जाते हो
कैसे बतलाऊँ तुम्हें ,
न दिन,न रात
हे प्रभु ! क्यों इतना स्नेह बरसाते हो
कि मन भ्रमित हो जाता है और
फिर,रिमझिम नैना बरसते हैं |
माना,मैंने
एक दृष्टि तुम्हारी
सारी पीड़ा हर लेती है
क्यों अब इन नैंनो को
उम्र भर...राह तकने की
सज़ा दिए जाते हो
जितनी भीगी प्रेम में तुम्हारी
उतनी ही अब अपनी प्यास दिए जाते हो
होठों पर कैसे लाऊँ
करुण पुकार मैं अपनी
उम्र भर का इंतज़ार,तुम्हारा
क्यों मुझे दिए जाते हो
कैसे बतलाऊँ तुम्हें ,
न दिन,न रात
हे!केशव
साँझ की बेला में घटी ये बात
तुम्हारी ये निशब्द सी लीला
और अब उम्र भर का
साँझ की बेला में घटी ये बात
तुम्हारी ये निशब्द सी लीला
और अब उम्र भर का
वियोग तुम्हारा
मुझे असहनीय पीड़ा दिए जाता है
मुझे असहनीय पीड़ा दिए जाता है
मुझे असहनीय पीड़ा दिए जाता है ||
अंजु (अनु)
48 comments:
उफ्फ्फ...मुझे ना रुलाओ सखी...
मैं तो बावरी श्याम की...
अति सुन्दर .....एक एक शब्द मनभावन !!
शुक्रिया वसुंधरा
अनमोल/अनुपम प्रेम में सम्पूर्ण जज़्बात से लबरेज़
आपके हर शब्द बेहद उत्कृष्ट हैं।
राधा-संग-कृष्ण या गोपी-संग-कृष्ण का जितना वर्णन जाए कम है।
दोनों रचनाएँ आपकी बेहद ख़ूबसूरत हैं, बधाई है।
साथ ही जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
तुम्हारे प्रेम की अग्नि में
तप गई ये प्रेम दीवानी....बेहद सुंदर...
अहा!!!
बहुत सुन्दर...बहुत कोमल...
सस्नेह
अनु
अदभुत !अनन्य प्रेम ...भाव |
हे प्रभु ! क्यों इतना स्नेह बरसाते हो
कि मन भ्रमित हो जाता है और
फिर,रिमझिम नैना बरसते हैं |.....
******
latestpost“लीजिए !कलम आपके हाथ में हैं....”
प्रेम के रस में भीगा भावयुक्त रचना..... बहुत सुंदर...
राधा की पीढ़ा दर्शाती बहुत ही कोमल भावपूर्ण रचना...
जय श्री कृष्णा.....
बहुत सुन्दर..्कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
कृष्ण प्रेम में पगी अनुपम, अनूठी एवँ अद्वितीय अभिव्यक्ति ! हर शब्द हृदय को तरल सा करता जाता है ! बहुत ही सुंदर रचना ! कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
badhayi ho ji . jai shree krishna
बहुत ही सुंदर और कोमल भावमय रचना.
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
Behatareen
ख़ूबसूरत रचना
ohh didi bahut sundar komal rachan......janamashtami ki apko dhero shubhkamnayein
बहुत सुंदर और प्यारा एहसाश कराती रचना
बहुत सुंदर मनोहारी रचना,,,
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
RECENT POST : पाँच( दोहे )
कृष्णमय हर 'शब्द'... राधामय है 'भाव'...
जन्माष्टमी की शुभ शुभकामनाएं जय श्री राधे कृष्ण
अति सुन्दर .....एक एक शब्द मनभावन !!
bahut accha .....radha ke peeda ko darshati rachna ....
_/\_
जयश्री कृष्ण !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿✿
बहुत सुन्दर प्रेम और विरह की व्यथा
बहुत सुन्दर....
एक एक शब्द मनभावन ....
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ....
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
खुले आकाश तले
तुम्हारी ,हथेलियों पर रख कर
शीश अपना
झूमती हूँ मैं,पल पल
वाह वाह !
सुंदर प्रेम-पगी रचना के लिए साधुवाद
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!!
आभार सरिता जी
आपका आभार
आभार शास्त्री जी
राजेंद्र भाई जी ..आपकी हर टिप्पणी के लिए आभार
behad manbhavan
krishna janmashtami ki shubhkamnayen..:)
यह विरह भी शाश्वत है राधा और कृष्ण का .... बहुत सुंदर रचना ... पढ़ते पढ़ते मन राधा हो गया ।
आभार संगीता दी
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
वाह अनुपम भाव संयोजन और राधा कृष्ण के प्रेम से सजी बहुत ही सुंदर रचना श्री कृष्ण जन्म अष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
राधा कृष्ण के प्रेम के अमरत्व को प्राप्त करती है ये अध्बुध प्रेम रचना ...
कभी कही लगता है कृष्ण होना नहीं बल्कि राष हो जाना ही सार्थक है ... अमर है .. शाश्वत है ...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें ...
anany prem se virah vyakulta tak sundar abhivyakti ..
बहुत सुंदर :)
प्रेम के अहसास की अद्भुत रचना...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर !
उम्दा रचना
बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति , हार्दिक बधाई ।
कृष्णमय करती रचना
बढिया,बहुत सुंदर
अद्भुत रचना हार्दिक बधाई ।
बहुत सुंदर कृष्णमयी रचना ...
हे!केशव
साँझ की बेला में घटी ये बात
तुम्हारी ये निशब्द सी लीला
और अब उम्र भर का
वियोग तुम्हारा
मुझे असहनीय पीड़ा दिए जाता है
अति सुन्दर .
भाव पूर्ण रचना ..
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