हुस्न-ए यार
प्रेम के सागर में
हुस्न-ए यार का
दीदार करके आया हूँ
क्या हाले दिल कहूँ
इन लबे-इज़हार के लिए
देखो तो ज़रा उसकी
निगाहों की शोखी तो
मन करता है कि
रख लूँ उनको
सिर्फ अपने ही दीदार के लिए
झलकता है उसके अंग अंग से
आशा और भय का मिला जुला
सा नज़ारा यहाँ
कुछ तो अब भी बचा है
मेरी मोहब्बते-इज़हार के लिए
उसकी आँखों की मौन स्वीकृति ने
मुझे उस खुदा का मुजरिम बना डाला
क्यूकि उसकी इबादत से पहले
मैंने सजदा अपने प्यार का ......
अपने हुस्न-ए-यार का.. कर डाला
(अंजु....(अनु..)
प्रेम के सागर में
हुस्न-ए यार का
दीदार करके आया हूँ
क्या हाले दिल कहूँ
इन लबे-इज़हार के लिए
देखो तो ज़रा उसकी
निगाहों की शोखी तो
मन करता है कि
रख लूँ उनको
सिर्फ अपने ही दीदार के लिए
झलकता है उसके अंग अंग से
आशा और भय का मिला जुला
सा नज़ारा यहाँ
कुछ तो अब भी बचा है
मेरी मोहब्बते-इज़हार के लिए
उसकी आँखों की मौन स्वीकृति ने
मुझे उस खुदा का मुजरिम बना डाला
क्यूकि उसकी इबादत से पहले
मैंने सजदा अपने प्यार का ......
अपने हुस्न-ए-यार का.. कर डाला
(अंजु....(अनु..)
16 comments:
खुदा भी प्यार करने वालों से प्यार करता है ...अच्छी प्रस्तुति
BEHTREEN, LAAZWAB, KHUBSURAT, SUNDAR, OR KYA KAHUN. . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
प्यार, इबादत का दूसरा नाम है,दीदारे-यार का परवरदिगार कभी बुरा नहीं मानता.
uski ibaadat se pahele maine sajda apne yaar ka , apne husne e yar ka kar dalaa.. wahhhhhhhhh
बहुत खूब अंजू जी, पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ...
और बहुत ही अच्छा लगा....मुझे प्यार बाँटने वाले लोग वैसे भी बहुत अछे लगते हैं....दुआ है की आपकी कलम से हमेशा ऐसी धारा बहती रहे !
अनुसरण करके जा रहा हूँ...अब आता ही रहूँगा जब भी समय मिलेगा !
pyaar me to her shaks khuda ho jata hai
pyar ka dusra naam bhagwaan hai or jis mein aapne pyar dekha usmein aapko bhagwan dikhega.......or pyar ki maun roopee savkritiyan bhagwan ko bhi aapko pyar karne ke liye majboor kar deti hain...........
Log Kehte Hai Ke Ishq Itna Mat Karo
Ke Husn Sir Per Sawar Ho Jaye Hum
Kehte Hai Ke Ishq Itna Karo Ki
Pathar ke bhagwan Ko Bhi Tumse Pyar Ho Jaye.
अनु,बहुत ही जोरदार रचना है.तुमने मुझे जानडन की याद दिला दी.उनकी कविता का अर्थ भी वही है.
pyaar ki aankho ko sanjokar rakhne ka khwaab, ye andaaz achha laga........
behtareen!!!!!!!
बहुत खूब पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ अच्छा लगा.
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं !
कविता की मुझे ज्यादा समझ नहीं है लेकिन आपकी रचना मन को बहुत भायी ...:-)
ऐसे ही सदा लिखती रहे
आदरणीय अंजू जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
दिल से लिखी हुई रचना सीधे दिल में उतरती है। आभार।
कौन कहता ही की मुह्हबत की जुवां होती, यह तो वह हकीकत है जो नजरों से वयां होती है
खुबसूरत अहसास, बधाई.....
अन्नू जी,
सुन्दर! प्रेमपूर्ण कविता के लिए बंधाई!
आप सभी दोस्तों का शुक्रिया ...
Post a Comment