इंतज़ार और इंतज़ार
आँखों में आंसू
दिल में दर्द
बातो में उम्मीद
जिन्दगी की सीख
दो पल साथ
जिन्दगी की आस
बूंदे बारिश की
तड़प सूखी धरती की
वही जाने
जिसने किया है कभी
किसी से भी प्यार..
दुलार और इंतज़ार ..............
****************
इंतज़ार अपनों का
कुछ सपनो का
इंतज़ार मीत का
उसकी प्रीत का
इंतज़ार ख़ुशी का
मिल कर उसे
बांटने का
इंतज़ार सागर का
अपनी लहरों के लिए
बस मन की भावनाओं में
इंतज़ार व्याकुलता का
मुलाकात का
इंतज़ार दो घडी
देखने का
करीब बैठ कर
बाते करने का
इंतज़ार ....बस इंतज़ार
आँखों में आंसू
दिल में दर्द
बातो में उम्मीद
जिन्दगी की सीख
दो पल साथ
जिन्दगी की आस
बूंदे बारिश की
तड़प सूखी धरती की
वही जाने
जिसने किया है कभी
किसी से भी प्यार..
दुलार और इंतज़ार ..............
****************
इंतज़ार अपनों का
कुछ सपनो का
इंतज़ार मीत का
उसकी प्रीत का
इंतज़ार ख़ुशी का
मिल कर उसे
बांटने का
इंतज़ार सागर का
अपनी लहरों के लिए
बस मन की भावनाओं में
इंतज़ार व्याकुलता का
मुलाकात का
इंतज़ार दो घडी
देखने का
करीब बैठ कर
बाते करने का
इंतज़ार ....बस इंतज़ार
.((अनु.))
22 comments:
वाह वाह। कम शब्दों में सार्थक रचना। आभार।
बहुत सुंदर और सरल , प्रवाहमयी , एकदम दिल से निकली हुई बात
बस इंतज़ार ही तो है जो जीने का सबब बनाए रखता है ।
हकीकत मे जीना जब आदत बनजाती है तो खवाबो की दुनिया बेरंग नजर आती है कोई इंतजार करता है जिंदगी के लीये और कीसी की जिंदगी इंतजार मे गुजर जाती है !
intzaar...kabhi khatm nahi hota , n koi surat rah jati hai paas karte karte intzaar
wah re intzaar...:)
lekin sach me ye intzaar kabhi khatm nahi hota, jaise aawasyakti khatm nhi hoti...har ek ke pure hone ke baad...kuchh aur ka intzaar...hai na..!!
sundar prastuti dost!
roji sachdeva jee ko bhi badhai...unke khubsurat chitro ke liye..:)
सुंदर कोमल और संवेदनशील भाव
After reading this I realise in our whole life we just wait for some or the other thing..... its like everlasting wait.
अच्छी रचना ! शुभकामनाये स्वीकारें ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
इन्तजार के दो रूप... अच्छे लगे... वाकई इन्तजार को वही समझ सकता है जिसने किया हो कभी प्यार.. दुलार... दुलार शब्द बड़ा नाज़ुक शब्द है... बेहतरीन कविता... जिसके लिए यह इन्तजार हो रहा है.. बड़ा भाग्यशाली होगा वह.... बना रहे इन्तजार का यह भाव...
सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति .दो शैर आपकी नजर इंतज़ार पर -
न कोई वक्त ,न कोई उम्मीद ,न कोई वायदा ,
रहगुज़र पर खड़े थे ,करना था ,तेरा इंतज़ार ।
और ये पंक्तियाँ भी आपकी नजर -
प्रतीक्षा में युग बीत गए सन्देश न कोई मिल पाया ,
सच बतलाऊँ तुम्हें प्राण ,इस जीने से मरना भाया .
नए अंदाज में लिखी गई यह कविता बहुत अच्छी लगी।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने. वैसे इंतज़ार का भी अपना ही मज़ा है.
aap sabka bahut bahut shukriya
कविता बहुत अच्छी लगी।
वाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है ।
aur hume intejaar hai aapki aglee kavita ka.........
nice to see ur blog and pleased to know that u r from my city
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