तेरे ही इंतज़ार में
मंजिल दूर है क्या जो
वो आई नहीं अभी तक
दिल हमारा इंतज़ार और सब्र
करते करते पत्थर का हो गया
इस कदर सीना मेरा
इश्क से संलग्न हुआ
ना रहीं अब इस दिल में
कोई रंजिश उसके लिए
सामने जो पड़ गई वो
तो होश उड़ गए
ये सहोबत का असर है कि
यार मेरा भी ज़वा हो गया
दिखा के चेहरा -ए -रोशन
वो पूछते है हम से कि
भरी महफ़िल में भी
हम तन्हाँ से क्यूँ है
जानते है हम कि ये दिल
बेचैन क्यूँ है ...
मरना कबूल नहीं है मुझे
तेरे ही इंतज़ार में .....
(अनु)
मंजिल दूर है क्या जो
वो आई नहीं अभी तक
दिल हमारा इंतज़ार और सब्र
करते करते पत्थर का हो गया
इस कदर सीना मेरा
इश्क से संलग्न हुआ
ना रहीं अब इस दिल में
कोई रंजिश उसके लिए
सामने जो पड़ गई वो
तो होश उड़ गए
ये सहोबत का असर है कि
यार मेरा भी ज़वा हो गया
दिखा के चेहरा -ए -रोशन
वो पूछते है हम से कि
भरी महफ़िल में भी
हम तन्हाँ से क्यूँ है
जानते है हम कि ये दिल
बेचैन क्यूँ है ...
मरना कबूल नहीं है मुझे
तेरे ही इंतज़ार में .....
(अनु)
23 comments:
good from PK Sharma
बहुत सुंदर भाव
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अनु बहन!
आपकी रचना बहुत सुन्दर और सशक्त है!
निरन्तर लिखतीं रहें!
बहुत खूब ... सुन्दर अभिव्यक्ति
socha karti hun
kabhi tumko bhi hoga mera intzaar
वाह ………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
शानदार।
भावनात्मक रचना |
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
सभी कविताएं रोचक एवं बेजोड़|
वाह...किन शब्दों में इस अप्रतिम रचना की प्रशंशा करूँ...बेजोड़..
आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !
कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/
अनु जी, गहरे एहसास के साथ सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर कविता और बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें!
सुन्दर अभिव्यक्ति...
कुछ यादें भरी महफ़िल में तनहा कर जाती हैं !
सुन्दर अभिव्यक्ति. धन्यवाद.
"मरना कबूल नहीं मुझे तेरे इन्तजार में"
बात तो ऐसे होनी थी "हम इंतजार करेंगे तेरा क़यामत तक,खुदा करे कि क़यामत हो और तू आये".थोड़े से विद्रोही तेवर हैं"मंजिल दूर है क्या जो वो आई नहीं अभी तक".पर ताजगी भरा नयापन है इस कविता में.
ह्रदयश्पर्सी
aap sabhi ki dil se shukriya...
इंतज़ार का भी एक मज़ा है अगर जिसका इंतज़ार किया जा रहा है वो कोई खास हो.किसी का एक शेर याद आ रहा है, देखिये:-
वादा किया था फिर भी न आये मज़ार पर.
हमने तो जान दे दी इसी ऐतबार पर.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई !
बहुत खूब ... सुन्दर अभिव्यक्ति .... गहरे एहसास के साथ शानदार रचना ....
wah re intzaar...:)
wah re man ke ahsaas...jo shabdo me utara hai aapne..:)
aisa bhi hota hai ki
ki bhari mahfil me tanha ho jate hain log..!!
मेरे ही इंतजार में,
shukriya aap sabka ....dil se
Post a Comment