इंतज़ार
भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....
रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
खोज में जो भी मिले,
या ना मिले,
पर मिल जाए उस से ये मन......
सब एक सा हो, या नहीं हो,
पर हो उस में तनिक दीवानापन,....
फिर क्यूँ ....
बेरुखी उनकी ना सोने दे
ना जागने दे ....
रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ....
नहीं मालूम था कि
आशियाँ भी नसीब होगा की नहीं ?????
(अनु )
रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
खोज में जो भी मिले,
या ना मिले,
पर मिल जाए उस से ये मन......
सब एक सा हो, या नहीं हो,
पर हो उस में तनिक दीवानापन,....
फिर क्यूँ ....
बेरुखी उनकी ना सोने दे
ना जागने दे ....
रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ....
नहीं मालूम था कि
आशियाँ भी नसीब होगा की नहीं ?????
वक़्त से कुछ न
कहा मैंने ...
कहा मैंने ...
वो आया और लौट भी गया
उसके रास्तो को भी कहाँ
रोका था मैंने?
रोका था मैंने?
दिन निकले और ढल गए
रातें भी ख़ामोशी से आयी
और चुपचाप चली गयी
चाँद ने भी मुझसे कुछ कहा नहीं
वो भी रात भर आँख बचाकर
चमकता रहा.....
चमकता रहा.....
एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????
(अनु )
35 comments:
भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
यादे ... ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ????
ये इंतजार की घड़ियां भी ...सुहानी होती हैं कितनी...बहुत सुन्दर
एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से 'अकेला' उसी
जगह 'खड़ा' हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ 'गई' थी
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????
कुछ अपनी सी लगीं ये पंक्तियाँ. आभार.
भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए भी कुछ समय निकालिएगा अनु जी.
@कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????
भावुक कविता........
लेकिन क्या जाने वाले लौट के आते हैं ?
जज्बाती होने का एक नुकसान यह भी है| क्योंकि आजकल इसकी कद्र करने वाले नहीं है| बहुत खूब सूरत अहसास बधाई.......
आपकी कविता "इंतज़ार" पढ़कर किसी का एक बड़ा मौजूं शेर याद आ गया ,देखिएगा:-
वादा किया था फिर भी न आये मज़ार पर.
हमने तो जान दे दी इसी ऐतबार पर.
खूबसूरत प्रस्तुति ...
भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....
anju ke darbar aana hi padha mere yaar....sach main itna khubsurat liakhni ki kala aapke hi pass hai jo dil ko chuti hai ek ek shabd ek mala piro gyi bahut bahut khub anju ji
दिन निकले और ढल गए
रातें भी ख़ामोशी से आयी
और चुपचाप चली गयी
khoobsoorati ki paraakashthaa!!
रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
खोज में जो भी मिले,
या ना मिले,
बहुत ही सुंदर सुंदर रचन
वाकई बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना..
एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
बधाई
सुन्दर रचना !
bahut sundarta se bhav abhivyakt kiye hain...
एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में
आबोदाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता हैं
दिन खाली खाली बर्तन है, और रात हैं जैसे अंधा कुवां
इन सूनी अंधेरी आखों में, आँसू की जगह आता हैं धुंआ
जीने की वजह तो कोइ नहीं, मरने का बहाना ढूँढता है
इन उम्र से लंबी सडकों को, मंजिल पे पहुचते देखा नहीं
बस दौड़ती, फिरती रहती है, हम ने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में, जाना पहचाना ढूँढता है
भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
किसी के अनजाने ही मिलने से दुनिय बदल जाती है ... फिर उसका इन्तेज़ार रहता है हमेशा ... भाव पूर्ण रचना ...
सुन्दर रचना....
आभार....
इंतज़ार की कशिश का तो कोई जवाब ही नहीं.....
दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....
bahut khoob
@@कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?.
वाह,बहुत खूबसूरत.
बहुत भावप्रणव रचना।
"रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ...."
अनु,अपनी ही भावनाओं को पढ़ती,पढ़कर आगे बढ़ती और भावों का ताना-बाना बुनती जाती रचना.बिम्बों के सहारे साकार होती रचना.मन को मोह रही है.
रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
वाह !!! क्या बात है.
इंतजार को बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने...
बहुत ही खुबसूरत रचना
"Rup ko rup ki hi najar na lag jaye"
Wahhh kya baat he"Rup ko rup ki hi najar na lag jaye"
Wahhh kya baat he
.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
भीगे भीगे है ज़ज्बात ........
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....
jajbat aur yaad...ye aise hi hote hain...dil se jude hote hain na....ek dum andar se!! aur tis pe aapke jaisee kaviyatri...:)
pyari si rachna!!
Bhavon ki sunder abhivyakti
यादों और भावनाओं का ताना बाना ... उनके लौटने की ख्वाहिश ... बहुत ही गहरी रचना ने जन्म लिया है ...
ASHOK ARORA
बेरुखी उनकी ना सोने दे
ना जागने दे ....
रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ....
नहीं मालूम था कि
आशियाँ भी नसीब होगा की नहीं ?????
...
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????
बहुत खुबसूरत रचना अनु....अपना एक पुराना कलम ...हमें भी भेज,,,दें...
और ये मेरी कविता "लौट के आ.. कोई गीत नया गाऐं." .की ..
चार लाइन अनु जी आपके सुंदर विचारों आप की भावुक अभिव्यक्यी के नाम ...
इस लिए ऐ दोस्त
लौट के आ
ताकि हम मिल कर फिर
कोई गीत नया गायें
और दिलों की बगिया को
फिर महकाएं ..
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
कहा मैंने ...
वो आया और लौट भी गया
उसके रास्तो को भी कहाँ
रोका था मैंने?
...बहुत ही सुन्दर सार्थक सन्देश छुपा है इन पाँक्तिओं मे। बधाई सुन्दर रचना के लिये।
bahut sundar rachna... :)
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