Wednesday, August 24, 2011

इंतज़ार


इंतज़ार


भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....
रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
खोज में जो भी मिले,
या ना मिले,
पर मिल जाए उस से ये मन......
सब एक सा हो, या नहीं हो,
पर हो उस में तनिक दीवानापन,....
फिर क्यूँ ....
बेरुखी उनकी ना सोने दे
ना जागने दे ....
रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ....
नहीं मालूम था कि
आशियाँ भी नसीब होगा की नहीं ?????
वक़्त से कुछ न
कहा मैंने ...
वो आया और लौट भी गया
उसके रास्तो को भी कहाँ
रोका था मैंने?
दिन निकले और ढल गए
रातें भी ख़ामोशी से आयी
और चुपचाप चली गयी
चाँद ने भी मुझसे कुछ कहा नहीं
वो भी रात भर आँख बचाकर
चमकता रहा.....
एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????

(अनु )

35 comments:

Maheshwari kaneri said...

भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
यादे ... ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ????

ये इंतजार की घड़ियां भी ...सुहानी होती हैं कितनी...बहुत सुन्दर

अभिषेक मिश्र said...

एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से 'अकेला' उसी
जगह 'खड़ा' हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ 'गई' थी
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????

कुछ अपनी सी लगीं ये पंक्तियाँ. आभार.

Rakesh Kumar said...

भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए भी कुछ समय निकालिएगा अनु जी.

दीपक बाबा said...

@कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????

भावुक कविता........

लेकिन क्या जाने वाले लौट के आते हैं ?

Sunil Kumar said...

जज्बाती होने का एक नुकसान यह भी है| क्योंकि आजकल इसकी कद्र करने वाले नहीं है| बहुत खूब सूरत अहसास बधाई.......

Kunwar Kusumesh said...

आपकी कविता "इंतज़ार" पढ़कर किसी का एक बड़ा मौजूं शेर याद आ गया ,देखिएगा:-
वादा किया था फिर भी न आये मज़ार पर.
हमने तो जान दे दी इसी ऐतबार पर.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत प्रस्तुति ...

Arora Pawan said...

भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के भीगी सी आँखे ये उन यादो से
थोड़े पास ,थोड़े दूर है
ना कुछ कहने दे
ना चुप रहने दे
दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....

anju ke darbar aana hi padha mere yaar....sach main itna khubsurat liakhni ki kala aapke hi pass hai jo dil ko chuti hai ek ek shabd ek mala piro gyi bahut bahut khub anju ji

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

दिन निकले और ढल गए
रातें भी ख़ामोशी से आयी
और चुपचाप चली गयी

khoobsoorati ki paraakashthaa!!

Sawai Singh Rajpurohit said...

रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय
खोज में जो भी मिले,
या ना मिले,
बहुत ही सुंदर सुंदर रचन

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

वाकई बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना..

एक तुम क्या मिले मुझे
दुनिया बदल गयी मेरी
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...

बधाई

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुन्दर रचना !

Anupama Tripathi said...

bahut sundarta se bhav abhivyakt kiye hain...

Fatan said...

एक अकेला इस शहर में, रात में और दोपहर में
आबोदाना ढूँढता है, आशियाना ढूँढता हैं

दिन खाली खाली बर्तन है, और रात हैं जैसे अंधा कुवां
इन सूनी अंधेरी आखों में, आँसू की जगह आता हैं धुंआ
जीने की वजह तो कोइ नहीं, मरने का बहाना ढूँढता है

इन उम्र से लंबी सडकों को, मंजिल पे पहुचते देखा नहीं
बस दौड़ती, फिरती रहती है, हम ने तो ठहरते देखा नहीं
इस अजनबी से शहर में, जाना पहचाना ढूँढता है

सुनील गज्जाणी said...

भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

दिगम्बर नासवा said...

किसी के अनजाने ही मिलने से दुनिय बदल जाती है ... फिर उसका इन्तेज़ार रहता है हमेशा ... भाव पूर्ण रचना ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर रचना....
आभार....

Arvind kumar said...

इंतज़ार की कशिश का तो कोई जवाब ही नहीं.....

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

दिल की टीस रही
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....

bahut khoob

डॉ. मनोज मिश्र said...

@@कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?.
वाह,बहुत खूबसूरत.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत भावप्रणव रचना।

Rajiv said...

"रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ...."
अनु,अपनी ही भावनाओं को पढ़ती,पढ़कर आगे बढ़ती और भावों का ताना-बाना बुनती जाती रचना.बिम्बों के सहारे साकार होती रचना.मन को मोह रही है.

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

रूपकों को रूप की ही
नज़र ना लग जाय

वाह !!! क्या बात है.

विभूति" said...

इंतजार को बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने...

रेखा said...

बहुत ही खुबसूरत रचना

विवेक दुबे"निश्चल" said...

"Rup ko rup ki hi najar na lag jaye"
Wahhh kya baat he"Rup ko rup ki hi najar na lag jaye"
Wahhh kya baat he

Suresh kumar said...

.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

भीगे भीगे है ज़ज्बात ........
ये यादे ...
ना हँसने दे
ना रोने दे .....


jajbat aur yaad...ye aise hi hote hain...dil se jude hote hain na....ek dum andar se!! aur tis pe aapke jaisee kaviyatri...:)

pyari si rachna!!

राजीव तनेजा said...

Bhavon ki sunder abhivyakti

दिगम्बर नासवा said...

यादों और भावनाओं का ताना बाना ... उनके लौटने की ख्वाहिश ... बहुत ही गहरी रचना ने जन्म लिया है ...

shuk-riya said...

ASHOK ARORA

बेरुखी उनकी ना सोने दे
ना जागने दे ....
रात के सफ़र में
यूँ ही अकेले चले थे हम
बनके तूफ़ान अपने मन का ....
नहीं मालूम था कि
आशियाँ भी नसीब होगा की नहीं ?????
...
लेकिन मैं तब से अकेली उसी
जगह खड़ीं हूँ ...
जहाँ तुम मुझे छोड़ गए थे
इस इंतज़ार में कि शायद
कभी किसी बहाने से तुम लौट आओ ?????
बहुत खुबसूरत रचना अनु....अपना एक पुराना कलम ...हमें भी भेज,,,दें...
और ये मेरी कविता "लौट के आ.. कोई गीत नया गाऐं." .की ..
चार लाइन अनु जी आपके सुंदर विचारों आप की भावुक अभिव्यक्यी के नाम ...
इस लिए ऐ दोस्त
लौट के आ
ताकि हम मिल कर फिर
कोई गीत नया गायें
और दिलों की बगिया को
फिर महकाएं ..

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

संजय भास्‍कर said...

कहा मैंने ...
वो आया और लौट भी गया
उसके रास्तो को भी कहाँ
रोका था मैंने?
...बहुत ही सुन्दर सार्थक सन्देश छुपा है इन पाँक्तिओं मे। बधाई सुन्दर रचना के लिये।

Mahesh Barmate "Maahi" said...

bahut sundar rachna... :)