हम भी चलो लगाएँ पेड़ .......
लगते हैं हमको अति प्यारे
हरे भरे ये सुन्दर पेड़
हरित वसन ये धरती माँ के
अनुपम पर उपकारी पेड़ |
धूप ओढ़ लेते हैं सिर पर
दूषित वायु स्वयं पी लेते
प्राण वायु देते हैं पेड़ |
औषधियों ,फल-फूल दे रहे
पर हमसे कुछ ना लेते पेड़
खड़े हुए हैं छाता ताने
पथ का श्रम हर लेते पेड़
स्वयं खड़े रहते जीवन भर
हम को कुर्सी देते पेड़
आंधी ,पानी ...सर्दी -गर्मी
करते सहन पल पल ये
प्यास बुझाने को धरती की
काले काले मेघ बुलाते ये पेड़
बड़े प्यार से हम को
सावन में झूला झुलाते ये पेड़
हम स्वार्थी निर्दयी हाथों से
कभी ना कटने देंगे पेड़
चलो बने हम भी ,पर उपकारी
हम भी लगायें खूब पेड़ ||
30 comments:
bahut sundar ,chalo ham bhi ped lagayen ......
bahut sundar ....chalo ham bhi kam se kam ek ped to lagayen ...
चलो बने हम भी ,पर उपकारी
हम भी लगायें खूब पेड़ ||
बहुत सुंदर रचना,,,,,,
RESENT POST,,,,,फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
आपके इस अभियान में हम भी शामिल हैं ...!
सार्थक सन्देश ....
हम सब साथ-साथ हैं ...
शुभकामनाएँ!
अवश्य लगाएं वृक्ष , हम आपके संग हैं |
चलिए पेड़ लगाते रहे....
धरती को सुन्दर बनाते रहे....
आपके अभियान का स्वागत है....
++++++++++++++++++++++
माफ़ करो इन्हें, ये तो इनके पढने-खेलने के दिन हैं.....
बहुत सुंदर
हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए
शुभकामनाएं
bahut sundar bhaav ...
sundar rachna ...
आपकी कविता पढकर Nature की खूबसूरती क्या है यह पता चल रहा है
Hindi Dunia Blog (New Blog)
पेड़ - एक रोपण और सिंचन पाकर देता है - छाँव , औक्सीजन , सौन्दर्य , फल , ......... तो चलते हैं न एक पेड़ लगाने
सुन्दर सार्थक रचना....
खूबसूरत विचार के साथ सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर आह्वान
bahut sunder vichar
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
धरती बहुत सहनशील है. तो वृक्ष भी कम सहन शील नहीं हैं. हम इन्सान इतने अह्शन फरामोश हैं की बस अपने स्वार्थ की सोचते हैं. और इसमें सबसे आसन काम लगता है तो वो ये की वृक्षों को काट डालना. ये हम भूल जाते हैं .. हमारी औकात वृक्षों के बदौलत है. मेरा मानना है की इंसान को अपने जीवन में दो वृक्ष जरुर लगाने चाहिए. शहरी बाबु लोग ये कह सकते हैं की कहाँ लगायें. पर मुझे विश्वास है की उनकी जड़ें भी कहीं कहीं किसी गावं से जुडी होती हैं. तो जब भी अपने गावं जाएँ तो वृक्ष जरुर लगाये. खुद के लिए लगायें आखिर हम स्वार्थी जो हैं.
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मेरे ब्लॉग पे आएगा
आज भारत बंद है
प्रगतिशील सरकार की पहचान !
अच्छी रचना...उत्तम संदेश!!
सार्थक सन्देश ....अंजू जी
सुदर और सहज कविता अंजू जी ....
पेड़ पर ही आधारित मेरी भी एक कविता पढ़े //
http://babanpandey.blogspot.in/2012/06/blog-post.html
बहुत सुन्दर रचना .........
सुंदर , प्रेरक कविता
सार्थक संदेश देती बहुत सुन्दर रचना...
☺☺☺ स्वस्थ बात
bahut hi sateek prastuti
avam prerana deti rachna
shayad abhi bhi logon ko samajh me aa jaaye to ye dharti phir se hari -bhari ho jaaye------
poonam
इस आहवान आज की जरूरत है. सार्थक सन्देश देती सुंदर कविता.
काश,समय रहते लोग समझ पाते.
सही अपील है ...
sabhi ko vraksh lagaane chahiey
सुन्दर, प्रेरक रचना...
:-)
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