Saturday, December 27, 2008

खिली धूप तो .............


खिली धूप तो ..
दूर हुआ अँधियारा ..
टूटी मन की बंदिशे ..
सिमटी आज की दुनिया ..
तो मिला नया सा रास्ता ..
इस नयी दुनिया के
ये बाशिंदे ...
भागते से हर वक़्त है ..
मन की शांति का आनन्द
प्राप्त करने को ..
उतावले से है सारे...
होठो पे लिये हस्सी
खोखली सी जिंदगी
जिए जा राहे है ..
हर दिन दुःख मे बीते
पर ...
हर्षित मुखिता का चेहरा लिये
हस्सने का ढोंग किये जा राहे ...
दुखो भरी इस खोखली दुनिया मे ...
सन्तुष्टि और प्रसन्नता ..
ही वास्तविक सम्पति है ..
इस दुनिया के बाशिंदे
इसे भूले जा रहें है .........
खिली धूप तो ..
दूर हुआ अँधियारा ..
टूटी मन की बंदिशे ......
(........कृति.......अनु.......)

15 comments:

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) said...

कल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Anamikaghatak said...

behtarin rachana ....shubhakamnaye

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

“कितने सुन्दर भाव हैं, कितनी सुन्दर बात
संतुष्टी धन अक्षय है, और लालसा रात”

सार्थक रचना....
सादर बधाई....

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या ।

vandan gupta said...

सुन्दर भाव

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 03 -05-2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....कल्पशून्य से अर्थवान हों शब्द हमारे .

Madhuresh said...

"दुखो भरी इस खोखली दुनिया मे ...
सन्तुष्टि और प्रसन्नता ..
ही वास्तविक सम्पति है ..
इस दुनिया के बाशिंदे
इसे भूले जा रहें है ..."

सार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना.
सादर
मधुरेश

मेरा मन पंछी सा said...

एकदम सही कहा है आपने...
मन में दुख है फिर भी झुठी हंसी का बोझ ढोना होता है..
यही तो जिंदगी है...सच्चाई है ये.....
बेहतरीन और उत्कृष्ठ रचना....

Amrita Tanmay said...

यूँ ही टूटता रहे मन की बंदिशें.....अति सुन्दर रचना..

M VERMA said...

बंदिशे टूट ही जाएँ

रचना दीक्षित said...

खिली धूप तो ..
दूर हुआ अँधियारा ..
टूटी मन की बंदिशे ..

बंदिशे तोड़कर मन का अँधियारा दूर करने का अद्भुत सन्देश.

बधाई.

प्रतिभा सक्सेना said...

सन्तुष्टि और प्रसन्नता ..
ही वास्तविक सम्पति है ..
इस दुनिया के बाशिंदे
इसे भूले जा रहें है ..
-आप सही कह रही हैं पर यहाँ सुनता कौन है !

Asha Joglekar said...

सन्तुष्टि और प्रसन्नता ..
ही वास्तविक सम्पति है ..
इस दुनिया के बाशिंदे
इसे भूले जा रहें है .........

एकदम सत्य ।

Anita said...

बहुत सुंदर भावों से पिरोयी कविता...

Satish Saxena said...

सच है ...
शुभकामनायें आपको !