Sunday, December 28, 2008
उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे .............
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
खुद को खो मुझ मे समाने दे
चाहतो के दायरे को और बढ़ जाने दे
जज्बातों के साथ बहने दे
जो बात ना कह सका उसे कहने दे
खयालो को और रंग जाने दे
जुल्फों मे मुझे उलझ जाने दे
आँखों के समुन्दर मे मुझे डूब जाने दे
लबो को मुझ से टकराने दे
जो चिंगारी लगी उसे भुझ जाने दे
उठे तूफ़ान को शांत हो जाने दे
जितना करीब चाहती है मुझे पास आने दे
तू मेरा आईना मुझे अक्श बन जाने दे
दिलो की गहरइयो मे मुझे उतार जाने दे
बान्द बाह्नो मे मुझे दूर ना जाने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे मे
सपनो को सपनो मे रहने दे
उड़ने दे आसमान मे
मुझे ''पवन'' जमी पे ना आने दे
उड़ मेरे संग कल्पनाओ के दायरे मे
यह दिल की लगी इसे दिल मे ही रहने दे
इसे बहार ना ला इसे चिंगारी ना बनने दे
~~~~~~~~पवन अरोडा~~~~~~~~~
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7 comments:
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 01-12 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज .उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे में
बेहतरीन।
सादर
अच्छी रचना है
पवन जी बहुत बहुत शुभकामनाएं।
Sunder parstuti !
सुन्दर...
सुन्दर रचना...
सादर....
khoobsurat abhivyakti.
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