Tuesday, December 23, 2008

आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे..................


आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे
जंहा प्यार है ...
दुलार है अपनों का
जंहा अपने है ......
और अपनेपन का वास है
और
जिस प हुम्हे अटूट
विश्वास है ...
आयो ले चले .तुम्हे अपनी दुनिया मे ......
जंहा साथ है साथ निभाने वाला
जंहा सब है एक
घर को....घर बनाने वाले ....
आयो इस जंहा को अपना बनाये ...
दुखो को दर किनारा कर ..
थामे खुशियों का दामन
मांगे अपनों का साथ ..
आयो हम भी ...
अपनों का साथ निभाए
आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे........
मेरी इस दुनिया मे
धोखा नहीं ....फरेब नहीं ..
झूठ और मक्कारी नहीं ...
है तो बस ...,,,,
प्यार और अपनों पे विश्वास ...
आयो ले चले तुम्हे अपनी दुनिया मे..........,,,,,,,,,,,,,,,,
.(.....कृति .......अनु.......)

1 comment:

पंकज "प्रेम" said...

sachiiiiiiiii muchiiiiiii

jindgi ko bhali bhati samjhte ho. warna
koi itni saralta se itne sare bato ko byakt nahi kar sakta