Monday, December 29, 2008
टुकडो में बंटी जिन्दगी को हम मिल कर जी ले .............
टुकडो में बंटी जिन्दगी को जी ले ..
एक चेहरे पे ,रख दूसरा चेहरा तू ,
अगर जीना है मन मुताबिक तो ,
रख विश्वास खुद पे
और जी के देख मेरे संग कल्पना कि दुनिया को ,
अब है हर तरफ सपनो कि ज़मी ,
तू ही मेरा सगा,तू ही मेरा प्यारा,
रहता है हर दम इस दिल मे ख्याल तुम्हारा ,
सीने मे दफ़न हुए सच्च को लेकर ,
जी के देख मेरे संग ,सपनो कि दुनिया
शान से कह तू मेरा ,मै तेरी हूँ ,
हाथ थाम ,विश्वास रख मुझे पे,
मै भी चली तेरे सगं पथरीली राहो पे ,
रख चेहरे पे मुस्कान ,कर तेरे प्यार का एहसास
माना प्यार को पुण्ये मैंने ,पाप नहीं है वोह ,
जैसा प्यार मीरा ने किया मोहन से ,
हमने भी किया है जो ,स्वार्थ नहीं निस्वार्थ है वोह ,
रख प्यार को दिल में और ,
आ प्यार से भरा ,जहर वाला प्याला हम भी पी ले .....
टुकडो में बंटी जिन्दगी को हम मिल कर जी ले .............
(.....कृति....अनु.......)
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15 comments:
achii bahot achii hai
par dost mujhe aisa laga jaise ki yeh mere liye likhi gayee ho....
sachi muchi mujhe aisa hi laga...
dastk .....di..dil ki kahaani ruh mai dhal tumne jinda kar diya shbdo ko bahut khub anu ji
sunder soch darshati hui sunder rachna ...
सुन्दर रचना....
सादर बधाई....
halchal ke madhyam se pahli baar aapke blog par pahuchi.achcha laga,itni pyaari kavita padhne ko mili.aabhar.aage bhi silsila jaari rahrga.apne blog par bhi aamantrit kar rahi hoon.
आपके सुन्दर जज्बात दिल को छूते हैं अंजू जी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
Bahut Sundar....
"jee ke dekh meri kalpana ki duniya ko"
wah !!!
www.poeticprakash.com
बेहतरीन!
क्या बात है, बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत शुभकामनाएं
बहुत अच्छे भावों को शब्दबद्ध किया है आपने,बधाई !
सुंदर!
waah..bahut sundar..aa ahsas me ji len ham ..door rah kar bhi sath ji len ham...
सच कहा आपने कि कहीं ज़मीं नहीं मिलती तो कहीं आसमान----
फिर भी विश्वास ही है जो जीने की राह पर हाथ थाम लेता है.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
sundar abhivyakti...!!
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